क्या अशोक गहलोत और सचिन पायलट इस्तीफे की पेशकश करेंगे?
एसपी मित्तल लोकसभा चुनाव की सभी 25 सीटें हार जाने के बाद सवाल उठता है कि क्या अशोक गहलोत मुख्यमंत्री पद और सचिन पायलट प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की पेशकश करेंगें? असल में पांच माह पहले हुए विधानसभा के चुनाव में जब कांग्रेस क
एसपी मित्तल
लोकसभा चुनाव की सभी 25 सीटें हार जाने के बाद सवाल उठता है कि क्या अशोक गहलोत मुख्यमंत्री पद और सचिन पायलट प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की पेशकश करेंगें?
असल में पांच माह पहले हुए विधानसभा के चुनाव में जब कांग्रेस को सफलता मिली थी, तब इन दोनों नेताओं ने ही श्रेय लिया था। दोनों ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को भरोसा दिलाया था कि प्रदेश की सभी 25 सीटों पर जीत दर्ज की जाएगी। लेकिन लोकसभा चुनाव में गहलोत और पायलट की रणनीति ताश के पत्तों की तरह ढेर हो गई। गहलोत तो अपने पुत्र वैभव को जोधपुर से नहीं जीता सके।
इतना ही नहीं जोधपुर की जिस सरदारपुरा सीट से गहलोत विधायक हैं वहां भी कांग्रेस की हार हुई है। इसी प्रकार सचिन पायलट भी अपने निर्वाचन क्षेत्र टोंक शहर से कांग्रेस को जीत नहीं दिलवा सके हैं। यानि प्रदेश अध्यक्ष पायलट और मुख्यमंत्री गहलोत अपने अपने विधानसभा क्षेत्रों से चुनाव हार गए हैं। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 200 में से 100 सीटें जीती थी। लेकिन लोकसभा का चुनाव में कांग्रेस को 185 विधानसभा क्षेत्रों में हार का सामना करना पड़ा है।
जाहिर है कि प्रदेश की जनता ने गहलोत और पायलट दोनों को नकार दिया है। ऐसे में सवाल उठता है कि 25 मई को दिल्ली में होने वाली कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में क्या गहलोत और पायलट इस्तीफे की पेशकश करेंगे? 24 मई को यूपी में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजबबर ने हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफे की पेशकश कर दी है। गहलोत और पायलट 23 मई की रात को ही दिल्ली पहुंच गए थे। दोनों नेताओं का 25 मई तक दिल्ली में ही रहने का कार्यक्रम है। जानकार सूत्रों के अनुसार गहलोत श्रीमती सानिया गांधी से भी मुलाकात करेंगे। अभी यह नहीं पता चला है कि राजस्थान की बुरी हार को लेकर दिल्ली में कोई मंथन होगा या नहीं लेकिन पायलट और गहलोत अपने-अपने तर्क लेकर दिल्ली में मौजूद हैं।
(ये लेखक के निजी विचार हैं)
लोकसभा चुनाव की सभी 25 सीटें हार जाने के बाद सवाल उठता है कि क्या अशोक गहलोत मुख्यमंत्री पद और सचिन पायलट प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की पेशकश करेंगें?
असल में पांच माह पहले हुए विधानसभा के चुनाव में जब कांग्रेस को सफलता मिली थी, तब इन दोनों नेताओं ने ही श्रेय लिया था। दोनों ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को भरोसा दिलाया था कि प्रदेश की सभी 25 सीटों पर जीत दर्ज की जाएगी। लेकिन लोकसभा चुनाव में गहलोत और पायलट की रणनीति ताश के पत्तों की तरह ढेर हो गई। गहलोत तो अपने पुत्र वैभव को जोधपुर से नहीं जीता सके।
इतना ही नहीं जोधपुर की जिस सरदारपुरा सीट से गहलोत विधायक हैं वहां भी कांग्रेस की हार हुई है। इसी प्रकार सचिन पायलट भी अपने निर्वाचन क्षेत्र टोंक शहर से कांग्रेस को जीत नहीं दिलवा सके हैं। यानि प्रदेश अध्यक्ष पायलट और मुख्यमंत्री गहलोत अपने अपने विधानसभा क्षेत्रों से चुनाव हार गए हैं। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 200 में से 100 सीटें जीती थी। लेकिन लोकसभा का चुनाव में कांग्रेस को 185 विधानसभा क्षेत्रों में हार का सामना करना पड़ा है।
जाहिर है कि प्रदेश की जनता ने गहलोत और पायलट दोनों को नकार दिया है। ऐसे में सवाल उठता है कि 25 मई को दिल्ली में होने वाली कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में क्या गहलोत और पायलट इस्तीफे की पेशकश करेंगे? 24 मई को यूपी में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजबबर ने हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफे की पेशकश कर दी है। गहलोत और पायलट 23 मई की रात को ही दिल्ली पहुंच गए थे। दोनों नेताओं का 25 मई तक दिल्ली में ही रहने का कार्यक्रम है। जानकार सूत्रों के अनुसार गहलोत श्रीमती सानिया गांधी से भी मुलाकात करेंगे। अभी यह नहीं पता चला है कि राजस्थान की बुरी हार को लेकर दिल्ली में कोई मंथन होगा या नहीं लेकिन पायलट और गहलोत अपने-अपने तर्क लेकर दिल्ली में मौजूद हैं।
(ये लेखक के निजी विचार हैं)