'दोस्ती' पर बनी ये 5 बेहतरीन फिल्में, अपने फ्रेंड्स संग जरूर देखें...
भारत में अगस्त के पहले रविवार को फ्रेंडशिप डे मनाया जाता है। ‘फ्रेंडशिप डे’ मनाने का चलन वैसे तो पश्चिमी देशों से शुरु हुआ, लेकिन भारत में भी पिछले कुछ सालों से युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय हो रहा है। लोग इस दिन एक दूसरे को ग्रीटिंग कार्ड, सोशल मीडिय
भारत में अगस्त के पहले रविवार को फ्रेंडशिप डे मनाया जाता है। ‘फ्रेंडशिप डे’ मनाने का चलन वैसे तो पश्चिमी देशों से शुरु हुआ, लेकिन भारत में भी पिछले कुछ सालों से युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय हो रहा है। लोग इस दिन एक दूसरे को ग्रीटिंग कार्ड, सोशल मीडिया और एसएमएस के जरिए बधाईयां देते हैं। बॉलीवुड में भी दोस्ती के ऊपर काफी फ़िल्में बन चुकी हैं। इन्हीं में से 5 के बारे में हम आपको बता रहे हैं।
रंग दे बसंती
राकेश ओमप्रकाश मेहरा निर्देशित यह फिल्म भी दोस्ती की कहानी को शानदार तरीके से कहती है। देशप्रेम और दोस्ती के पुट के साथ। दिल्ली विश्वविद्यालय के 5 छात्र अपनी सामाजिक जवाबदेही निभाते हुए किस तरह से देश की सुर्खियों बन जाते हैं यह फिल्म इसी विषय पर फोकस करती है।
दिल चाहता है
2001 में रिलीज हुई फरहान अख्तर निर्देशित यह फिल्म अपने समय से आगे की फिल्म मानी जाती है। फिल्म का कैनवास दोस्तों के सपनों के साथ उनके आंतरिक टकरावों पर भी फोकस करता है।
थ्री इडियट्स
दोस्ती और विचारधारा के बदलाव की उम्दा कहानी कहती है थ्री इडियट्स। राजकुमार हिरानी निर्देशित इस फिल्म में इंजीनियरिंग कॉलेज के बैकग्राउंड पर बनीं यह फिल्म शिक्षा पद्घति पर बदलावों पर खुला विमर्श करती है।
काई पो चे
दोस्ती की फिल्मों में अभिषेक कपूर निर्देशित काई पो चे दोस्ती में सपनों के साथ उनके टकरावों की कहानी भी कहती है लेकिन यह टकराव कहीं भी इतने बड़े नहीं होते कि वह पूरी दोस्ती को प्रभावित कर दें।
जिंदगी न मिलेगी दोबारा
जिंदगी मिलेगी न दोबारा दोस्ती की कहानी कुछ अलग ढंग से कहती है। कहीं-कहीं दार्शनिक हो गई यह फिल्म जीवन में दोस्ती के महत्व को अंडरलाइन करती हुई चलती है। यह फिल्म बताती है कि जीवन में खुद से बात से करना, अपने सपनों से बात करना और अपने दोस्तों से बात करना कितना जरूरी है।
रंग दे बसंती
राकेश ओमप्रकाश मेहरा निर्देशित यह फिल्म भी दोस्ती की कहानी को शानदार तरीके से कहती है। देशप्रेम और दोस्ती के पुट के साथ। दिल्ली विश्वविद्यालय के 5 छात्र अपनी सामाजिक जवाबदेही निभाते हुए किस तरह से देश की सुर्खियों बन जाते हैं यह फिल्म इसी विषय पर फोकस करती है।
दिल चाहता है
2001 में रिलीज हुई फरहान अख्तर निर्देशित यह फिल्म अपने समय से आगे की फिल्म मानी जाती है। फिल्म का कैनवास दोस्तों के सपनों के साथ उनके आंतरिक टकरावों पर भी फोकस करता है।
थ्री इडियट्स
दोस्ती और विचारधारा के बदलाव की उम्दा कहानी कहती है थ्री इडियट्स। राजकुमार हिरानी निर्देशित इस फिल्म में इंजीनियरिंग कॉलेज के बैकग्राउंड पर बनीं यह फिल्म शिक्षा पद्घति पर बदलावों पर खुला विमर्श करती है।
काई पो चे
दोस्ती की फिल्मों में अभिषेक कपूर निर्देशित काई पो चे दोस्ती में सपनों के साथ उनके टकरावों की कहानी भी कहती है लेकिन यह टकराव कहीं भी इतने बड़े नहीं होते कि वह पूरी दोस्ती को प्रभावित कर दें।
जिंदगी न मिलेगी दोबारा
जिंदगी मिलेगी न दोबारा दोस्ती की कहानी कुछ अलग ढंग से कहती है। कहीं-कहीं दार्शनिक हो गई यह फिल्म जीवन में दोस्ती के महत्व को अंडरलाइन करती हुई चलती है। यह फिल्म बताती है कि जीवन में खुद से बात से करना, अपने सपनों से बात करना और अपने दोस्तों से बात करना कितना जरूरी है।