मेयर बनने के बाद भी घर-घर जाकर दूध बेचती हैं ये महिला
केरल के त्रिशूर की इस महिला मेयर का नाम है अजिता विजयन। करीब 18 साल पहले इन्होंने पति के मदद के लिए दूध बेचना शुरू किया था। इनका मकसद था कि वो अपने पति की आय में कुछ सहयोग करेंगी तो घर का खर्च चलना आसान होगा। लेकिन, वो अब मेयर बन चुकी हैं और त्रिशूर
केरल के त्रिशूर की इस महिला मेयर का नाम है अजिता विजयन। करीब 18 साल पहले इन्होंने पति के मदद के लिए दूध बेचना शुरू किया था। इनका मकसद था कि वो अपने पति की आय में कुछ सहयोग करेंगी तो घर का खर्च चलना आसान होगा। लेकिन, वो अब मेयर बन चुकी हैं और त्रिशूर की जानी-मानी नेत्री हैं।
अजिता विजयन के दिन की शुरुआत सुबह 4 बजे होती है। सुबह पांच बजे तक वो दूध के पैकेट अपनी स्कूटी पर लादकर घर से निकल पड़ती हैं। वो त्रिशूर में करीब 150 के करीब घरों में दूध पहुंचाने का काम करती हैं। उनके ग्राहकों को लगा कि मेयर बनने के बाद वो शायद ये काम बंद कर देंगी लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।
मेयर विजयन का कहना है कि पार्टी ने जो उनके प्रति विशवास दिखाया है, वो उसके लिए पार्टी की आभारी हैं। लेकिन मेयर का पद अस्थायी है। वो दूध के पैकेट बांटना बंद नहीं करेंगी। ये उनके लिए कमाई का जरिया है। इस काम से उन्हें लोगों से जुड़ने और उनकी समस्याओं के बारे में जानकारी भी मिलती है।
वैसे भी दूध बांटने के लिए सुबह के कुछ घंटे चाहिए होते हैं, इसके बाद वो मेयर के रूप में अपनी ज़िम्मेदारी को पूरा करने में लगाती हैं। गौरतलब है कि साल 1999 में उन्होंने कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (सीपीआई ) ज्वाइन किया और दो बार मेयर बनीं। इतना ही नहीं उनके कामकाज से वहां की जनता बेहद खुश हैं।
अजिता विजयन के दिन की शुरुआत सुबह 4 बजे होती है। सुबह पांच बजे तक वो दूध के पैकेट अपनी स्कूटी पर लादकर घर से निकल पड़ती हैं। वो त्रिशूर में करीब 150 के करीब घरों में दूध पहुंचाने का काम करती हैं। उनके ग्राहकों को लगा कि मेयर बनने के बाद वो शायद ये काम बंद कर देंगी लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।
मेयर विजयन का कहना है कि पार्टी ने जो उनके प्रति विशवास दिखाया है, वो उसके लिए पार्टी की आभारी हैं। लेकिन मेयर का पद अस्थायी है। वो दूध के पैकेट बांटना बंद नहीं करेंगी। ये उनके लिए कमाई का जरिया है। इस काम से उन्हें लोगों से जुड़ने और उनकी समस्याओं के बारे में जानकारी भी मिलती है।
वैसे भी दूध बांटने के लिए सुबह के कुछ घंटे चाहिए होते हैं, इसके बाद वो मेयर के रूप में अपनी ज़िम्मेदारी को पूरा करने में लगाती हैं। गौरतलब है कि साल 1999 में उन्होंने कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (सीपीआई ) ज्वाइन किया और दो बार मेयर बनीं। इतना ही नहीं उनके कामकाज से वहां की जनता बेहद खुश हैं।