मुख्तयार हत्याकांड में पूर्व पालिकाध्यक्ष फरीदा बेगम सहित दो की उम्रकैद की सजा बरकरार
काशीपुर। जसपुर के पूर्व पालिकाध्यक्ष हाजी मुख्तयार अहमद हत्याकांड में जसपुर की पूर्व पालिकाध्यक्ष फरीदा बेगम और सह आरोपी मोहम्मद अशरफ को उत्तराखंड हाईकोर्ट और एडीजे कोर्ट से मिली आजीवन कारावास की सजा को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा है। कोर्ट ने मुख्त
काशीपुर। जसपुर के पूर्व पालिकाध्यक्ष हाजी मुख्तयार अहमद हत्याकांड में जसपुर की पूर्व पालिकाध्यक्ष फरीदा बेगम और सह आरोपी मोहम्मद अशरफ को उत्तराखंड हाईकोर्ट और एडीजे कोर्ट से मिली आजीवन कारावास की सजा को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा है।
कोर्ट ने मुख्तयार हत्याकांड में चार अन्य को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया है। 72 वर्षीय फरीदा बेगम को 18 दिसंबर तक काशीपुर कोर्ट में आत्मसमर्पण करना है।
फरीदा बेगम सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अभी जमानत पर हैं। अदालत ने चार दिसंबर 2018 को फैसला सुनाया था। जसपुर निवासी और 1988 में नगर पालिकाध्यक्ष रहे हाजी मुख्तयार अहमद की एक जुलाई 1999 को रात करीब साढ़े आठ बजे रफीक अहमद (दिलदार) के घर पर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
शाहिद हुसैन ने जसपुर कोतवाली में तत्कालीन पालिकाध्यक्ष फरीदा बेगम, मोहम्मद अशरफ, रईस अहमद उर्फ सतना, रईस उर्फ लपट्टी, असलम, नसीम उर्फ चुरती, इदरीश उर्फ मिर्ची के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
कोर्ट ने मुख्तयार हत्याकांड में चार अन्य को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया है। 72 वर्षीय फरीदा बेगम को 18 दिसंबर तक काशीपुर कोर्ट में आत्मसमर्पण करना है।
फरीदा बेगम सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अभी जमानत पर हैं। अदालत ने चार दिसंबर 2018 को फैसला सुनाया था। जसपुर निवासी और 1988 में नगर पालिकाध्यक्ष रहे हाजी मुख्तयार अहमद की एक जुलाई 1999 को रात करीब साढ़े आठ बजे रफीक अहमद (दिलदार) के घर पर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
शाहिद हुसैन ने जसपुर कोतवाली में तत्कालीन पालिकाध्यक्ष फरीदा बेगम, मोहम्मद अशरफ, रईस अहमद उर्फ सतना, रईस उर्फ लपट्टी, असलम, नसीम उर्फ चुरती, इदरीश उर्फ मिर्ची के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी।