यहां पैदा होते ही आमदनी का जरिया बन जाती हैं लड़कियां, पूरा कबीला मनाता है जश्न

डंके की चोट पर 'सिर्फ सच'

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यहां पैदा होते ही आमदनी का जरिया बन जाती हैं लड़कियां, पूरा कबीला मनाता है जश्न

आज भी कई जगह परम्परा की आड़ में लोग बहुत ही गंदा काम कर रहे है जी हां आज भी देश में कई जगह ऐसी है जहां पर परम्परा के नाम पर लोग महिलाओ के जिस्म का सौदा करते है। ऐसा ही कुछ हाल मध्य प्रदेश की एक जनजातीय समुदाय बाछड़ा के लोगो का है। इस समुदाय के परिवार


यहां पैदा होते ही आमदनी का जरिया बन जाती हैं लड़कियां, पूरा कबीला मनाता है जश्न
आज भी कई जगह परम्परा की आड़ में लोग बहुत ही गंदा काम कर रहे है जी हां आज भी देश में कई जगह ऐसी है जहां पर परम्परा के नाम पर लोग महिलाओ के जिस्म का सौदा करते है। ऐसा ही कुछ हाल मध्य प्रदेश की एक जनजातीय समुदाय बाछड़ा के लोगो का है।

इस समुदाय के परिवार में जब लड़की पैदा होती है को तो पूरा कबीला जश्न मनाता है। जश्न इसलिए नहीं कि वो महिलाओं को सम्मान देते हैं, बल्कि उन्हें लगता है कि उनके घर में आमदनी का जरिया आ गया। इस समुदाय की परंपरा है कि महिलाएं अपना जिस्म बेच कर घर परिवार का खर्च चलाती हैं।

यहां के मर्द खुद अपनी बहन बेटी के जिस्म का सौदा करते हैं। यह समुदाय मध्य प्रदेश के नीमच, मंदसौर, रतलाम व कुछ अन्य इलाकों में रहता है। घर की महिलाएँ भी कभी विरोध नहीं करतीं। हर रात जहां और जिसके साथ जाने को पिता और भाई इशारा करते हैं ये चल देती हैं। इस समुदाय में यह परंपरा भी है कि कोई शख्स किसी लड़की से शादी करना चाहता है तो उसे लड़की वालों को एकमुश्त बड़ी रकम चुकानी होती है।

यहां पर लड़की की शादी होने से पहले समुदाय की पंचायत बैठती है यह पंचायत शादी होने से पहले लड़की के रूपरंग और आयु के हिसाब से उसकी कीमत तय करते हैं। अगर बोली लगाने वाले एक से ज्यादा होते हैं तो शादी उसी के साथ की जाती है जो ज्यादा पैसा देता है। सरकार ने इस समुदाय को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने की कोशिश की है लेकिन ये लोग अपनी वर्षो से चली आ रही इस परम्परा को छोड़ने के लिए तैयार नही है।