पत्तियां चढ़ाने से प्रसन्न होती हैं देवड़ा की देवी

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पत्तियां चढ़ाने से प्रसन्न होती हैं देवड़ा की देवी

जगदलपुर। छग और ओडि़शा की सीमा पर देवड़ा जंगल में एक ऐसी देवी हैं तो भक्तों द्वारा पत्तियां चढ़ाने से ही खुश हो जाती हैं। इसके चलते ही इस देवी के सामने पत्तियों का विशाल ढेर लगा रहता है। बताया गया कि पत्ता ग्रहण करने वाली इस देवी को स्थानीय डालखाई कह


पत्तियां चढ़ाने से प्रसन्न होती हैं देवड़ा की देवीजगदलपुर। छग और ओडि़शा की सीमा पर देवड़ा जंगल में एक ऐसी देवी हैं तो भक्तों द्वारा पत्तियां चढ़ाने से ही खुश हो जाती हैं। इसके चलते ही इस देवी के सामने पत्तियों का विशाल ढेर लगा रहता है। बताया गया कि पत्ता ग्रहण करने वाली इस देवी को स्थानीय डालखाई कहते हैं और प्रतिवर्ष महाशिवरात्रि और कार्तिक पूर्णिमा के दिन इनकी विशेष पूजा करते हैं।
जिला मुख्यालय से करीब 25 किमी दूर माचकोट वन परिक्षेत्र अंर्तगत छग और ओडि़शा की सीमा पर देवड़ा जंगल है। इस जंगल में प्रवेश करते ही बांयी तरफ एक चबूतरे पर वन दुर्गा और वन भैरव विराजित हैं। ग्रामीण इन्हें वनदेवी और डालखाई कह पूजते हैं। देवड़ा, चोकावाड़ा, धनपुंजी, नगरनार, कस्तुरी, माचकोट, सुरली आदि गांव के लोगों की मान्यता है कि यह देवी ही उनके पुशधन की रक्षा हिंसक वन्यप्राणियों से करती हैं, इसलिए ग्रामीण प्रतिवर्ष महाशिवरात्रि और कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर दीप जलाकर तथा हरे पत्ते भेंट कर माता की आराधना करते हैं।