यहां मजबूरी के चलते कुछ इस तरीके से होती है दुल्हनों की विदाई...

डंके की चोट पर 'सिर्फ सच'

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यहां मजबूरी के चलते कुछ इस तरीके से होती है दुल्हनों की विदाई...

नई दिल्ली। शादी के बाद दुल्हन की विदाई होते लगभग हम सभी ने देखा है। सजी-धजी कार में बैठकर दुल्हन मायके से ससुराल को जाती है, लेकिन आज हम आपको जिस जगह के बारे में बताने जा रहे हैं वहां दुल्हन कार में बैठकर नहीं बल्कि बाइक पर सवार होकर विदा होती है। ह


यहां मजबूरी के चलते कुछ इस तरीके से होती है दुल्हनों की विदाई...नई दिल्ली। शादी के बाद दुल्हन की विदाई होते लगभग हम सभी ने देखा है। सजी-धजी कार में बैठकर दुल्हन मायके से ससुराल को जाती है, लेकिन आज हम आपको जिस जगह के बारे में बताने जा रहे हैं वहां दुल्हन कार में बैठकर नहीं बल्कि बाइक पर सवार होकर विदा होती है।

हम यहां बिहार की बात कर रहे हैं। यहां सहरसा मानसी रेलखंड के सिमरी बख्तियारपुर रेल परिसर से दुल्हनें चार पहिए पर नहीं बल्कि बाइक पर बिठाकर विदा की जाती हैं।

बता दें, ऐसा कोई रस्म,रिवाज,प्रथा या फिर शौक के चलते नहीं किया जाता है बल्कि यहां लोग मजबूरी के चलते ऐसा करने को विवश है।
यहां मजबूरी के चलते कुछ इस तरीके से होती है दुल्हनों की विदाई...
दरअसल, कोसी क्षेत्र में आज भी कई ऐसे गांव हैं जहां तक चार पहिया वाहन नहीं पहुंच पाता है। अभी तो हालात फिर भी ठीक है, लेकिन एक जमाना था जब टायर गाड़ी पर ओहार लगाकर या बैलगाड़ी पर दुल्हनों की विदाई की जाती थी।

प्रतिवर्ष बाढ़ आने के कारण इस क्षेत्र के लोगों को यातायात, बिजली संबंधी कष्टों का सामना करना पड़ता है। आज भी जब शादियों का सीजन आता है तो यहां के लोग अपनी बेटियों की विदाई बाइक पर ही करते हैं। जमाना भले ही आज तमाम आलीशान कारों का आ गया है, लेकिन बिहार के कोसी क्षेत्र के इन इलाकों की छवि अभी भी नहीं सुधरी है।