यहां नवजात भी अपने खून से करते हैं 'मां दुर्गा' का अभिषेक

डंके की चोट पर 'सिर्फ सच'

  1. Home
  2. home

यहां नवजात भी अपने खून से करते हैं 'मां दुर्गा' का अभिषेक

लखनऊ। गोरखपुर जिले से 40 किमी दूर बांसगांव क्षेत्र में यह दुर्गा मंदिर स्थित है. इस मंदिर में यूं तो हर समय भक्तों की भीड़ लगी रहती है, पर शारदीय नवरात्र की रामनवमी को इस इलाके के हजारों क्षत्रियों का इस मंदिर में जमावड़ा होता है और शुभ मुहुर्त के बाद


यहां नवजात भी अपने खून से करते हैं 'मां दुर्गा' का अभिषेकलखनऊ। गोरखपुर जिले से 40 किमी दूर बांसगांव क्षेत्र में यह दुर्गा मंदिर स्थित है. इस मंदिर में यूं तो हर समय भक्तों की भीड़ लगी रहती है, पर शारदीय नवरात्र की रामनवमी को इस इलाके के हजारों क्षत्रियों का इस मंदिर में जमावड़ा होता है और शुभ मुहुर्त के बाद हर व्यक्ति के शरीर से रक्त निकाला जाता है और मां को चढ़ाया जाता है. चाहे 15 दिन का नवजात हो या फिर 100 साल का बुजुर्ग, सभी अपना रक्त मां को चढ़ाते हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार हर साल हजारों लोगों के शरीर से रक्त निकालकर मां को चढ़ाया जाता है. एक ही उस्तरे से सभी श्रद्धालुओं के शरीर को काटा जाता है और निकले रक्त को बेलपत्र के ऊपर लगाकर इस मंदिर में चढ़ाया जाता है।

यहां के लोग मानते हैं कि रक्त चढ़ाने से मां खुश होती हैं और उनका परिवार निरोग और खुशहाल रहता है. सैकड़ों सालों से बांसगाव में चली आ रही इस परंपरा का निर्वाह आज की युवा पीढ़ी भी उसी श्रद्धा से करती है जैसे उनके पुरखे किया करते थे. सभी का मानना है कि क्षत्रियों का लहू चढ़ाने से मां दुर्गा की कृपा उन पर बनी रहती है।