विदेश से करना चाहता हैं MBBS तो जरूर पढ़ें ये खबर...

डंके की चोट पर 'सिर्फ सच'

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विदेश से करना चाहता हैं MBBS तो जरूर पढ़ें ये खबर...

विदेश से मेडिकल डिग्री हासिल करने के जुगाड़ में जुटे छात्रों की संख्या एक साल में 74 फीसदी बढ़ी है। मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) को इसके लिए वर्ष 2017-18 में 18,383 आवेदन मिले जबकि 2016-17 में 10,555 आवेदन मिले थे। एमसीआई ने एक आरटीआई याचिका के


विदेश से करना चाहता हैं MBBS तो जरूर पढ़ें ये खबर...विदेश से मेडिकल डिग्री हासिल करने के जुगाड़ में जुटे छात्रों की संख्या एक साल में 74 फीसदी बढ़ी है। मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) को इसके लिए वर्ष 2017-18 में 18,383 आवेदन मिले जबकि 2016-17 में 10,555 आवेदन मिले थे। एमसीआई ने एक आरटीआई याचिका के जवाब में यह जानकारी दी। विदेशी मेडिकल कॉलेजों में पढऩे के लिए एमसीआई एक अर्हता सर्टिफिकेट जारी करता है। 2017-18 में ऐसे 14,118 सर्टिफिकेट उसने जारी किए जबकि 2016-17 में 8,737 सर्टिफिकेट जारी किए थे।
विशेषज्ञों का मानना है कि चूंकि भारत में मेडिकल शिक्षा की सीटें जरूरत से काफी कम हैं इसलिए स्टूडेंट्स यह विकल्प आजमा रहे हैं। वे चीन, रूस, यूक्रेन, नेपाल, कजाखिस्तान, किर्गीजिस्तान और जॉर्जिया जैसे देशों में जा रहे हैं, जहां उन्हें अपेक्षाकृत आसानी से दाखिला मिल जाता है। वैसे विद्यार्थी खास तौर से बाहर जाते हैं जो भारत के मेडिकल कॉलेजों की प्रवेश परीक्षा में सफल नहीं हो पाते। गौरतलब है कि देश में 12 लाख कैंडिडेट मेडिकल की नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (नीट) परीक्षा में बैठते हैं जिनमें छह लाख पास होते हैं। इनमें 68,000 को एमबीबीएस में प्रवेश मिलता है, बाकी होम्योपैथी, आयुर्वेद वगैरह के लिए चुने जाते हैं। जाहिर है, डॉक्टर बनने को इच्छुक एक बड़ा तबका बाहर रह जाता है। वह अपनी किस्मत आजमाने के लिए विदेश के कॉलेजों में ऐडमिशन लेता है लेकिन भारत में डॉक्टरी के दरवाजे तब भी उसके लिए आसानी से नहीं खुलते। लौटकर उन्हें फॉरेन मेडिकल ग्रैजुएट्स एग्जाम देना होता है।
यह स्क्रीनिंग टेस्ट मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की ओर से साल में दो बार कराया जाता है। इसमें पास होने वालों की संख्या कभी पचास फीसदी हुआ करती थी, जो अब मात्र दस फीसदी रह गई है। बहरहाल, विदेश में डॉक्टरी पढऩे का मन बना रहे छात्रों को भी अगले साल से नीट का दरवाजा पार करना होगा। सत्र 2018-19 से एमसीआई इसके लिए अर्हता प्रमाणपत्र नीट क्लीयर करने वाले छात्रों को ही देगा। पिछले वर्ष केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की मंजूरी के बाद एमसीआई ने यह आदेश जारी किया था, जिसे दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। लेकिन अदालत ने एमसीआई के आदेश को सही ठहराया। संभव है, इसके बाद विदेश जाने वाले छात्रों की संख्या अचानक कम हो जाए, लेकिन इससे भारत में डॉक्टरों की जरूरत तो कम नहीं हो जाएगी।
इससे भी ज्यादा चिंता की बात यह है कि एमबीबीएस करने के बाद भारतीय डॉक्टर उच्च शिक्षा या नौकरी के लिए विदेश चले जा रहे हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले तीन सालों में 5,129 डॉक्टर विदेश चले गए। अभी देश में 1,597 लोगों पर एक डॉक्टर है जबकि डब्लूएचओ के मानकों के मुताबिक 1,000 की आबादी पर एक डॉक्टर होना चाहिए। इसके लिए 40 लाख से भी ज्यादा और डॉक्टर हमें तैयार करने होंगे, जो तभी हो पाएगा जब बहुत सारे मेडिकल कॉलेज हमारे पास हों।