मुस्लिम देश में मौजूद है 1000 ईसा पूर्व का समुद्र मंथन से निकला अमृत कलश!
नई दिल्ली। बताया जाता है इंडोनेशिया के मध्य और पूर्वी जावा प्रांतों की सीमा पर माउं लावू नामक जगह है। जहां कंडी सुकुह नामक एक मंदिर है। माउंट लावू पर्वत पर स्थित यह मंदिर लगभग 2990 फीट ऊंचा है। विद्वानों के अनुसार मंदिर के एक अंदर एक कलश मौजूद है। ज
नई दिल्ली। बताया जाता है इंडोनेशिया के मध्य और पूर्वी जावा प्रांतों की सीमा पर माउं लावू नामक जगह है। जहां कंडी सुकुह नामक एक मंदिर है। माउंट लावू पर्वत पर स्थित यह मंदिर लगभग 2990 फीट ऊंचा है।
विद्वानों के अनुसार मंदिर के एक अंदर एक कलश मौजूद है। जिसे समुद्र मंथन से निकला हुआ अमृत कलश माना जाता है।
साल 2016 में इंडोनेशिया के पुरातत्व विभाग की ओर से मंदिर की मरम्मत का काम करते समय उन्हें यहां की दीवार की नींव से एक तांबे का कलश मिला था। जिसके ऊपर एक पारदर्शी शिवलिंग स्थापित था और कलश के भीतर कोई द्रव्य भरा हुआ था।
ख़बरों के अनुसार ये कलश 1000 ईसा पूर्व का है, जबकि मंदिर का निर्माण 1437 ईसा पूर्व के आसपास हुआ था। यह कलश तांबे का है। इसकी खासियत यह है कि कलश को इस तरह से जोड़ा गया था कि उसे कोई खोल न सके।
साथ ही हैरान करने वाली बात यह है कि जिस दीवार की नींव से कलश मिला उसपर समुद्र-मंथन की नक्काशी हुई थी और महाभारत के आदिपर्व का वर्णन किया गया था। बताया जाता है कि कलश में भरा द्रव्य हजारों सालों से मौजूद है, लेकिन इतने वर्ष बीत जाने के बावजूद द्रव्य सूखा नहीं, वो जस का तस बना हुआ है।
विद्वानों के अनुसार मंदिर के एक अंदर एक कलश मौजूद है। जिसे समुद्र मंथन से निकला हुआ अमृत कलश माना जाता है।
साल 2016 में इंडोनेशिया के पुरातत्व विभाग की ओर से मंदिर की मरम्मत का काम करते समय उन्हें यहां की दीवार की नींव से एक तांबे का कलश मिला था। जिसके ऊपर एक पारदर्शी शिवलिंग स्थापित था और कलश के भीतर कोई द्रव्य भरा हुआ था।
ख़बरों के अनुसार ये कलश 1000 ईसा पूर्व का है, जबकि मंदिर का निर्माण 1437 ईसा पूर्व के आसपास हुआ था। यह कलश तांबे का है। इसकी खासियत यह है कि कलश को इस तरह से जोड़ा गया था कि उसे कोई खोल न सके।
साथ ही हैरान करने वाली बात यह है कि जिस दीवार की नींव से कलश मिला उसपर समुद्र-मंथन की नक्काशी हुई थी और महाभारत के आदिपर्व का वर्णन किया गया था। बताया जाता है कि कलश में भरा द्रव्य हजारों सालों से मौजूद है, लेकिन इतने वर्ष बीत जाने के बावजूद द्रव्य सूखा नहीं, वो जस का तस बना हुआ है।