इस गांव में मौत होने पर मनाते है जश्न...

डंके की चोट पर 'सिर्फ सच'

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इस गांव में मौत होने पर मनाते है जश्न...

डेलायो में लोगों का माना है कियहां वर्ष भर एक अद्भुत हवा बहती है, जिसकी खासियत यह है कि कोई भी शव खुले तौर पर कितने ही वर्षों तक क्यों न पड़ा रहे, उसे तनिक भी क्षति नहीं होती। इसलिए वहां पर शवों को न तो दफन किया जाता हैं और न जलाया जाता है। यहां पर ए


इस गांव में मौत होने पर मनाते है जश्न...
डेलायो में लोगों का माना है कियहां वर्ष भर एक अद्भुत हवा बहती है, जिसकी खासियत यह है कि कोई भी शव खुले तौर पर कितने ही वर्षों तक क्यों न पड़ा रहे, उसे तनिक भी क्षति नहीं होती। इसलिए वहां पर शवों को न तो दफन किया जाता हैं और न जलाया जाता है।

यहां पर एक बहुत ही विस्तृत पहाड़ी है, जिसका नाम डोगारू है। इस पहाड़ी के अंदर सुरंग बनाकर मृतक के शरीर को दीवार के सहारे खड़ा कर देते हैं। मृतक को नवीन वस्त्र पहनाते हैं। अनेक वर्षों तक मृतक का शरीर जीवित मनुष्य की तरह ही दिखता है।

कुछ वर्षों के बाद सूख कर मिट्टी में मिल जाता है। दिलचस्प बात यह है कि यहां पर किसी का निधन होने पर पर्व-त्योहारों की भांति जश्न मनाकर खुशियों का इजहार करते हैं। दरअसल उनकी नजर मेें मृत्यु एक नए जीवन का आगाज है।

मरने से पूर्व यहां के लोग अपने लिए दुकानों से मनपसंद ताबूत (शवपेटी) खरीद कर रख देते हैं। शवयात्रा में कौन से गीत व राग गाए जाएंगें इसका भी वसीयतनामा पहले से ही कर देते हैं। लोग मृत्यु से बेहद खौफ खाते हैं। जब किसी व्यक्ति की गांव में मृत्यु हो जाती है, तो पूरा गांव ही जला दिया जाता है।

 वहां के लोगों की यह धारणा होती है कि मृत्यु के बाद उसकी प्रेत आत्मा गांव पर मंडराती रहती है। गांव को आग के हवाले कर देने से प्रेत-आत्मा डर कर भाग जाती है।

एक धारणा वहां के लोगों की यह भी है कि मरने के बाद भी व्यक्ति को भोजन की आवश्यक्ता होती है। अतरू मृतक के मुह में बांस की एक नली लगा दी जाती हैं तथा उस नली का ऊपरी भाग कब्र के बाहर जमीन के ऊपर निकाल दिया जाता है।