सालों से दलदल में रह रहे लोग, यहीं बना लेते हैं अपना घर

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सालों से दलदल में रह रहे लोग, यहीं बना लेते हैं अपना घर

दुनिया में लोग घर बनाने के लिए सबसे ज्यादा अच्छी जगह देखते हैं और उसके बाद वहां पर घर बनाते हैं। घर बनाने के लिए अच्छी जगह के साथ अच्छी सामग्री का इस्तेमाल करते हैं, जिससे अच्छा घर बन सके। आज के जमाने में ऐसे भी लोग हैं जो दलदली जमीन पर घर बनाकर रहत


सालों से दलदल में रह रहे लोग, यहीं बना लेते हैं अपना घर
दुनिया में लोग घर बनाने के लिए सबसे ज्यादा अच्छी जगह देखते हैं और उसके बाद वहां पर घर बनाते हैं। घर बनाने के लिए अच्छी जगह के साथ अच्छी सामग्री का इस्तेमाल करते हैं, जिससे अच्छा घर बन सके। आज के जमाने में ऐसे भी लोग हैं जो दलदली जमीन पर घर बनाकर रहते हैं। जी हां जिस दलदली जमीन पर खड़ा रहना भी मुश्किल होता है, उस जमीन पर घर बनाकर रहने के बारे में कोई सोच भी सकता है क्या? लेकिन ये लोग पिछले 5 हजार सालों से दलदली जमीन पर घर बना कर रह रहे हैं।
इराक में सीमावर्ती इलाके के पास दलदली जमीन पर एक समुदाय के लोग कच्चे बने घरों में रहते हैं। ये लोग पिछले 5 हजार सालों से घर बना कर रह रहे हैं। इन लोगों को मार्श कहते हैं। टाइग्रिस और यूफ्रेटस की उस दलदली भूमि का क्षेत्रफल 9 हजार वर्ग मील था। इस दलदली भूमि पर बहुत सारी जनजातियां एक साथ रहती थीं। उन लोगों की पहचान वहां बने तैरते हुए घरों से होती थी। वो तैरते घर घांस-फूस और अन्य चीजों से मिलकर बनते थे। एक खास तरह की घांस जो पानी या दलदली क्षेत्रों में उगी है, उस पर घर बनाकर रहते हैं। इन घरों को बनाने में सिर्फ 3 दिन का समय लगता था। खास बात ये कि इन घरों को बनाते समय लकड़ी का इस्तेमाल नहीं किया जाता है।
ये जगह कई शताब्दियों तक किषानों और गुलामों के रहने की जगह हुआ करती थी। 90 के दशक में सद्दाम हुसैन के शासन के समय ये जगह उनकी शरणस्थली बनी, जिन पर उनकी कार्रवाई हुई। 1991 में इराक सरकार ने मार्श की इस जगह को खत्म करने का आदेश दिया। सरकार का मानना था कि मार्श अरब के विद्रोहियों को रहने की जगह दे रही थी। उस जगह को जलाकर तबाह कर दिया गया, लेकिन कुछ सालों बाद लोगों ने सरकार के फैसले का विरोध किया और उसके बाद उस जगह को पहले जैसा बनाने की कोशिश की गई।