यहां पीरियड्स होने पर बेटियों को गाय-भैंसों के बीच डाल देते हैं लोग, सदियों से चल रही कुप्रथा

डंके की चोट पर 'सिर्फ सच'

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यहां पीरियड्स होने पर बेटियों को गाय-भैंसों के बीच डाल देते हैं लोग, सदियों से चल रही कुप्रथा

आज जब हम इक्कीसवीं सदी का डेढ़ दशक से ज़्यादा समय जी चुके हैं, हम चांद और मंगल पर पहुंच रहे हैं, तो हमारा समाज अब भी कुछ कुरीतियों की वजह से हमारी तरक्कीपसंद सभ्यता को शर्मिंदा कर रहा है. इनमें से ज़्यादातर कुरीतियों के निशाने पर हमेशा की तरह महिलाएं ह


यहां पीरियड्स होने पर बेटियों को गाय-भैंसों के बीच डाल देते हैं लोग, सदियों से चल रही कुप्रथा
आज जब हम इक्कीसवीं सदी का डेढ़ दशक से ज़्यादा समय जी चुके हैं, हम चांद और मंगल पर पहुंच रहे हैं, तो हमारा समाज अब भी कुछ कुरीतियों की वजह से हमारी तरक्कीपसंद सभ्यता को शर्मिंदा कर रहा है. इनमें से ज़्यादातर कुरीतियों के निशाने पर हमेशा की तरह महिलाएं ही हैं. ऐसी ही कुरीति है छौपदी नामक प्रथा. 
आपको सुन कर हैरानी होगी, लेकिन ये सच है कि नेपाल के कुछ इलाकों में आज भी लड़कियों को पीरियड के दौरान बड़े अजीबोगरीब हालातों से गुजरना पड़ता है. पीरियड आने पर लड़कियों को गाय के बाड़े में डाल दिया जाता है. पांच दिन तक लड़कियां बेहद खराब स्थिति का सामना करती हैं. ये प्रथा पश्चिमी नेपाल के साथ भारत और बांग्लादेश के कई हिस्सों में आज भी बदस्तूर जारी है.
जानवरों से भी बदतर व्यवहार
- छौपदी का मतलब है अनछुआ. ये प्रथा सदियों से नेपाल में जारी है.
- पीरियड या डिलेवरी के चलते लड़कियों को अपवित्र मान लिया जाता है. इसके बाद उन पर कई तरह की पाबंदिया लगा दी जाती हैं.
- वह घर में नहीं घुस सकतीं. पैरेंट्स को छू नहीं सकतीं. खाना नहीं बना सकतीं और न ही मंदिर और स्कूल जा सकती हैं.
- खाने में सिर्फ नमकीन ब्रेड या चावल दिए जाते हैं.
- अगस्त में आने वाले ऋषि पंचमी फेस्टिवल में महिलाएं नहाकर पवित्र होती हैं. साथ ही अपने पापों की माफी भी मांगती हैं.

- छौपदी को नेपाल सुप्रीम कोर्ट ने 2005 में गैरकानूनी करार दिया था.
-सांकेतिक तस्वीर