अंडमान निकोबार से जुड़े ये रोचक तथ्य, आज तक नहीं जान पाए होंगे आप...
भारत के लोग प्रकृति की खूबसूरती देखने के लिए दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में जाते हैं। विदेशों में घूमने के साथ ये भूल जाते हैं कि भारत में भी कई ऐसी खूबसूरत जगहें मौजूद है जहां पर आपको विदेशों से भी अलग नजारा दिखाई देगा। आज हम आपको अंडमान निकोबार द्व
भारत के लोग प्रकृति की खूबसूरती देखने के लिए दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में जाते हैं। विदेशों में घूमने के साथ ये भूल जाते हैं कि भारत में भी कई ऐसी खूबसूरत जगहें मौजूद है जहां पर आपको विदेशों से भी अलग नजारा दिखाई देगा। आज हम आपको अंडमान निकोबार द्वीप समूह के बारे में बता रहे हैं जो कि प्राकृतिक खूबसूरती से भरपूर है। अंडमान निकोबार भारत का ही हिस्सा है जहां प्रत्येक वर्ष लाखों सैलानी छुट्टियां मनाने आते हैं। आज हम आपको इस जगह के बारे में कुछ ऐसी बातें बता रहे हैं, जिन्हें आप आजतक नहीं जानते होंगे…
इस जगह पर रहने वाले मूल जनजाति के लोग बाहर से आने वाले लोगों के साथ ठीक से मिल नहीं पाते हैं। इस जगह पर ज्यादातर जार्वा जनजाति के लोग रहते हैं।
ये आइलैंड पूरी दुनिया में मशहूर है, लेकिन फिर भी यहां पर लोग ठीक से घूम नहीं पाए हैं। इस द्वीप के कुल 572 आइलैंड्स में से सिर्फ 36 पर ही घूमा या बसा जा सकता है। यहां जाने के लिए कुछ खास लोगों को ही मौका मिलता है।
इस जगह पर समुद्री कछुआ सबसे ज्यादा पाया जाता है। इसी के साथ धरती का सबसे बड़ा कछुआ भी यहीं मिलता है। दुनिया के सबसे बड़े कछुए को Dermocheleys Coriacea कहते हैं।
भारतीय मुद्रा में जो 20 रुपये के नोट पर जंगल बना हुआ है वो अंडमान द्वीप का ही हिस्सा है।
अंडमान निकोबार में मछली पकड़ने पर रोक लगाई हुई है, जिसकी वजह से ये एक ऐसी जगह है जहां मछलियां उम्र पूरी होने पर ही मरती हैं।
अंडमान निकोबार में कोकोनट क्रैब अधिक मात्रा में पाए जाते हैं।
अंडमान में ज्यादातर बंगाली भाषा बोलने वाले लोग रहते हैं इसी के साथ हिन्दी, तेलगू तमिल और मलयालम भाषा भी बोली जाती है।
भारत में सिर्फ अंडमान में वाल्केनो देखा जा सकता है। देश का इकलौता सक्रिय वाल्केनो अंडमान में ही है जो कि पोर्ट ब्लेयर से 135 किमी दूरी पर मौजूद है।