40 बरसों से गांधी परिवार की चादर ख्वाजा उर्स में पेश करवा रहे हैं खादिम अब्दुल गनी गुर्देजी

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40 बरसों से गांधी परिवार की चादर ख्वाजा उर्स में पेश करवा रहे हैं खादिम अब्दुल गनी गुर्देजी

एसपी मित्तल 13 मार्च को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की ओर से अजमेर में ख्वाजा साहब के उर्स के दौरान सूफी परंपरा के अनुरूप पवित्र मजार पर चादर पेश की गई। इस मौके पर सूबे के सीएम अशोक गहलोत और डिप्टी सीएम सचिन पायलट खास तौर से मौजूद रहे।


40 बरसों से गांधी परिवार की चादर ख्वाजा उर्स में पेश करवा रहे हैं खादिम अब्दुल गनी गुर्देजीएसपी मित्तल 
13 मार्च को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की ओर से अजमेर में ख्वाजा साहब के उर्स के दौरान सूफी परंपरा के अनुरूप पवित्र मजार पर चादर पेश की गई। इस मौके पर सूबे के सीएम अशोक गहलोत और डिप्टी सीएम सचिन पायलट खास तौर से मौजूद रहे।

कांग्रेस के तमाम छोटे बडे़ नेता भी उपस्थित रहे। इसे एक संयोग ही कहा जाएगा कि पिछले चालीस बरस से खादिम सैयद अब्दुलगनी गुर्देजी ही गांधी परिवार की चादर को पेश करवा रहे हैं। पिछले चालीस वर्षों से देश की राजनीति और गांधी परिवार में बहुत कुछ बदल गया है, लेकिन दरगाह में गांधी परिवार का खादिम नहीं बदला है। 13 मार्च को ही गुर्देजी ने अपने दोनों बेटे सैयद यासीर गुर्देजी और जकरिया गुर्देजी के साथ राहुल गांधी द्वारा भेजी गई चादर को पेश करवाया और सीएम व डिप्टी सीएम को जियारत करवाई।

सिरों पर पगड़ी बांधी और राहुल गांधी के लिए तबर्रुक भी दिया। इस मौके पर राहुल गांधी की सफलता के लिए दुआ भी की। गहलोत और पायलट ने राहुल गांधी के प्रधानमंत्री बनने की  दुआ की। गनी गुर्देजी का मानना है कि दरगाह में वीआईपी परिवार का चालीस वर्षों तक खादिम बना रहना कोई आसान काम नहीं है। जबकि इस बीच श्रीमती इंदिरा गांधी और राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री भी रहे। इतना ही नहीं श्रीमती सोनिया गांधी, डाॅ. मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री काल में देश की सबसे ताकतवर महिला रहीं।

गांधी परिवार से लगातार चालीस वर्षों से पारिवारिक संबंध होने के बाद भी गुर्देजी ने कभी भी राजनीतिक फायदा नहीं उठाया। दोनों पुत्र दरगाह में ही पिता की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। खादिम समुदाय में गुर्देजी का नाम सम्मान के साथ लिया जाता है। गनी गुर्देजी 1978 के उन दिनों को याद करते हैं, जब दरगाह में श्रीमती इंदिरा गांधी को जियारत करवाने के लिए कोई तैयार नहीं हुआ। तब जनता पार्टी के शासन में श्रीमती गांधी का चैतरफा विरोध हो रहा था। ऐसे युवा गनी गुर्देजी ने श्रीमती गांधी को दरगाह में जियारत करवाई और देशभर में सुर्खियां पाई। जो सिलसिला 1978 से शुरू हुआ वो आज तक जारी है।

इस बीच श्रीमती गांधी फिर से देश की प्रधानमंत्री बनी, तब भी गुर्देजी ने ही जियारत करवाई। गांधी परिवार सत्ता में रहा या नहीं, लेकिन ख्वाजा साहब के उर्स में चादर अवश्य भेजी। श्रीमती सोनिया गांधी  भी कांग्रेस अध्यक्ष की हैसियत से लगातार चादर भेजती रही। गांधी परिवार ख्वाजा साहब के प्रति गहरी अकीदत है। 13 मार्च को भी सोनिया गांधी, राहुल गांधी आदि के लिए दरगाह का तबर्रुक दिया गया।