मोदी सरकार के इस फैसले डूबने की कगार पर पहुंची LIC

डंके की चोट पर 'सिर्फ सच'

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मोदी सरकार के इस फैसले डूबने की कगार पर पहुंची LIC

गिरीश मालवीय इंडियन एक्सप्रेस की चार दिन पुरानी रिपोर्ट कहती है कि मार्च 2017 में LIC का एक शेयर 73 रुपये का था, जो आज मात्र 21 रुपये के लगभग पहुँच गया है। लाखो पॉलिसी धारकों के लिए यह बहुत बुरे संकेत हैं मोदी सरकार ने इन पॉलिसी धारकों का पैसा डुबोन


मोदी सरकार के इस फैसले डूबने की कगार पर पहुंची LICगिरीश मालवीय
इंडियन एक्सप्रेस की चार दिन पुरानी रिपोर्ट कहती है कि मार्च 2017 में LIC का एक शेयर 73 रुपये का था, जो आज मात्र 21 रुपये के लगभग पहुँच गया है। लाखो पॉलिसी धारकों के लिए यह बहुत बुरे संकेत हैं मोदी सरकार ने इन पॉलिसी धारकों का पैसा डुबोने में कोई कोर कसर नही छोड़ी थी जब उसने LIC के सर पर बंदूक रख कर आईडीबीआई बैंक में उसे 51 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने पर मजबूर कर दिया था एनपीए के मामले में आईडीबीआई बैंक सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला ऋणदाता बैंक रहा है अर्थव्यवस्था के जानकारों ने एलआईसी और आईडीबीआई के बीच होने वाले इस सौदे को घाटे का बता दिया था उनका मानना था कि इस सौदे के बाद एलआईसी को 70,000 करोड़ से लेकर एक लाख करोड़ रुपये तक का नुकसान हो सकता है।

आज यही नुकसान शेयर बाजार में परिलक्षित हो रहा है लेकिन मोदी सरकार का पेट इतने से भी नही भरा है अब जो नयी बात सामने आ रही है उसमें एलआईसी से एक ऐसी कम्पनी को बचाने को कहा जा रहा है जिसपर बहुत बड़ा कर्ज है जो डूबने की कगार पर है यह कम्पनी हैं आईएलएंडएफएस, दरअसल यह एक बुनियादी ढांचा विकास और वित्त कंपनी है इस कंपनी को गुजरात सरकार की बताया जा रहा है इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड (आईएल एंड एफएस) में पहले से ही एलआईसी के 25 फीसदी शेयर हैं।

एक समय पर आईएलएंडएफएस को सार्वजनिक निजी भागीदारी का अगुआ समझा जाता था लेकिन अब इस समूह पर भारी बकाया कर्ज का बोझ है, समूह के कई दीर्घावधि तथा लघु अवधि के बांडों को क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों ने ‘चूक’ या ‘कबाड़’ की श्रेणी में डाला है। इसके अलावा सेबी कुछ ऋण चूक का खुलासा करने में कथित देरी के लिए भी जांच कर रहा है।

ऐसी ऋणग्रस्त कम्पनी में निवेश करने का एलआईसी पर फिर एक बार दबाव बनाया जा रहा है ताकि यह संकट 2019 के आम चुनावों तक टल जाए, भारतीय जीवन बीमा निगम देश के सबसे बड़े संस्थागत निवेशकों में शुमार है इनसॉल्वेंसी ऐंड बैंकरप्सी कोड, 2016 के तहत नैशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (NCLT) में जितने भी ऐप्लिकेशन स्वीकार किए गए हैं।

उन कम्पनियों में LIC का बड़े पैमाने पर निवेश है इन कम्पनियों में आलोक इंडस्ट्रीज, एबीजी शिपयार्ड, एमटेक ऑटो, मंधाना इंडस्ट्रीज, जेपी इन्फ्राटेक, ज्योति स्ट्रक्चर्स, रेनबो पेपर्स और ऑर्किड फार्मा शामिल हैं। यानी की सारी दीवालिया घोषित होने वाली कम्पनियों में LIC की पहले से ही हिस्सेदारी है जिसे अब ओर बढ़ाया जा रहा है, अब IDBI बैंक के बाद IL & FS में निवेश करना LIC के ताबूत आखिरी कील साबित होगा।

(लेखक आर्थिक मामलों के जानकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं)