इसी जगह पर हुई थी भगवान शिव और देवी पार्वती की शादी

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इसी जगह पर हुई थी भगवान शिव और देवी पार्वती की शादी

ये तो सभी जानते हैं कि भगवान शिव (Lord Shiva) को पति रूप में पाने के लिए देवी पार्वती (Goddess Parvati) ने कठोर तपस्या की थी, जिसके बाद भगवान शिव ने उनके विवाह का प्रस्ताव को स्वीकार कर विवाह किया। लेकिन अधिकतर लोग ये नहीं जानते कि शिव-पार्वती का वि


इसी जगह पर हुई थी भगवान शिव और देवी पार्वती की शादीये तो सभी जानते हैं कि भगवान श‌िव (Lord Shiva) को पत‌ि रूप में पाने के ल‌िए देवी पार्वती (Goddess Parvati) ने कठोर तपस्या की थी, जिसके बाद भगवान शिव ने उनके विवाह का प्रस्ताव को स्वीकार कर विवाह किया। लेकिन अधिकतर लोग ये नहीं जानते कि शिव-पार्वती का विवाह कहां हुआ और उनके विवाह से संबंध में कोई निशानी है या नहीं।

लोकमान्यातओं के अनुसार, भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में हुआ था। रुद्रप्रयाग ज‌िले में मौजूद त्रियुगी नारायण मंदिर (Triyuginarayan Temple) में शिव पार्वती का विवाह हुआ था।

इस गांव में भगवान व‌िष्‍णु और देवी लक्ष्मी का एक मंद‌िर है, ज‌िसे श‌िव पार्वती के व‌िवाह स्‍थल के रूप में जाना जाता है। इस मंद‌िर के परिसर में ऐसे कई चीजें आज भी मौजूद हैं, ज‌‌िनका संबंध श‌िव-पार्वती के व‌िवाह से माना जाता हैं।

श‌‌िव-पार्वती के व‌िवाह में भगवान व‌िष्‍णु ने देवी पार्वती के भाई की भूम‌िका न‌िभाई थी। भगवान व‌िष्‍णु ने उन सभी रीत‌ियों को न‌िभाया जो एक भाई अपनी बहन के व‌िवाह में करता है। कहते हैं इसी कुंड में स्नान करके भगवान व‌िष्‍णु ने व‌िवाह संस्कार में भाग ल‌िया था।

यह है वह स्‍थान जहां पर भगवान श‌िव और पार्वती व‌िवाह के समय बैठे थे। इसी स्‍थान पर ब्रह्मा जी ने भगवान श‌िव और देवी पार्वती का व‌िवाह करवाया था।

भगवान श‌िव को व‌िवाह में एक गाय म‌िली थी। माना जाता है कि यह वह स्तंभ है, जिस पर उस गाय को बांधा गया था।

श‌िव पार्वती के व‌िवाह में ब्रह्माजी पुरोह‌ित बने थे। व‌िवाह में शाम‌िल होने पहले ब्रह्माजी ने ज‌िस कुंड में स्‍नान क‌िया था वह ब्रह्मकुंड यह है। तीर्थयात्री इस कुंड में स्नान करके ब्रह्माजी का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

त्रियुगी नारायण मंद‌िर की इस अखंड धुन‌ी के चारों ओर भगवान श‌िव ने पार्वती के संग फेरे ल‌िए थे। आज भी इस कुंड में अग्न‌ि को जीव‌ित रखा गया है। मंद‌िर में प्रसाद रूप में लकड़‌ियां भी चढ़ाई जाती है। श्रद्धालु इस प‌व‌ित्र अग्न‌ि कुंड की राख अपने घर ले जाते हैं। कहते हैं यह राख वैवाह‌िक जीवन में आने वाली सभी परेशान‌ियों को दूर करती है।