मौलाना हबीब उर रहमान लुधियानवी के शिकवे पर रखा था गांधी जी ने मरणव्रत

डंके की चोट पर 'सिर्फ सच'

  1. Home
  2. home

मौलाना हबीब उर रहमान लुधियानवी के शिकवे पर रखा था गांधी जी ने मरणव्रत

लुधियाना। आज यहां ऐतिहासिक जामा मस्जिद लुधियाना में गांधी जयंती के अवसर पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें गुलाम हसन कैसर, इतिहासकार मौलाना मुहम्मद उस्मान लुधियानवी, श्री अशोक कुमार गुप्ता, मुफ्ती जमालुदीन , शाही इमाम के सचिव मुहम्मद मुस्तकीम


मौलाना हबीब उर रहमान लुधियानवी के शिकवे पर रखा था गांधी जी ने मरणव्रतलुधियाना। आज यहां ऐतिहासिक जामा मस्जिद लुधियाना में गांधी जयंती के अवसर पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें गुलाम हसन कैसर, इतिहासकार मौलाना मुहम्मद उस्मान लुधियानवी, श्री अशोक कुमार गुप्ता, मुफ्ती जमालुदीन , शाही इमाम के सचिव मुहम्मद मुस्तकीम अहरारी, शाहनवाज खान अहरार ने अपने विचार रखे।

गोष्ठी को संबोधित करते हुए देश की जंग-ए-आजादी में शामिल रही मजलिस अहरार इस्लाम हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष व शाही इमाम पंजाब मौलाना हबीब उर रहमान सानी लुधियानवी ने आज गांधी जयंती पर कहा कि देश के स्वतंत्रता संग्राम में गांधी जी की भूमिका सब से अहम रही है, शाही इमाम ने बताया कि उनके दादा मौलाना हबीब उर रहमान लुधियानवी प्रथम के गांधी जी के साथ 1925 से ही दोस्ताना सबंध बन गए और जीवन भर बाकी रहे, दादा जान अक्सर जंग-ए-आज़ादी की रणनीति को लेकर खत लिखते और वार्धा से गांधी जी का पहली फुरसत में डाक से जवाब आता था, जंग-ए-आज़ादी में मौलाना हबीब उर रहमान  ने गांधी जी के साथ जेल भी काटी।

शाही इमाम ने बताया कि जब 1947 में देश की आज़ादी के साथ ही देश का विभाजन हो गया और विभिन्न राज्यों में सांप्रदायिक दंगे शुरू हो गए तो दादाजान मौलाना हबीब उर रहमान लुधियानवी प्रथम ने देश के विभाजन का विरोध करते हुए पाकिस्तान जाने से इंकार कर दिया और दिल्ली जाकर गांधी जी से मिले और शिकवा करते हुए दो टूक कहा कि गांधी जी मुझे पासपोर्ट दिलवा दीजिए तांकि मैं बर्तानिया जा कर ऐलिजाबैथ को बता सकंू कि गांधी अपनी अहिंसा की रणनीति में नाकाम हो गए हैं देश आज़ाद होते ही हिन्दू-मुसलमान एक दूसरे को मार रहे हैं, गांधी जी ने यह बात सुनी तो उसी समय ऐलान किया की जब मौलाना हबीब उर रहमान लुधियानवी जैसे राष्ट्रवादी मुसलमान भी सुरक्षित नहीं हैं तो मैं मरणव्रत का ऐलान करता हूं या तो देश में खून खराबा रुकेगा यां मैं अपनी जान दे दूंगा।

गांधी जी के इस ऐलान के बाद दिल्ली समेत देश में सांप्रदायिक दंगे रुक गए थे। शाही इमाम ने कहा आज भी देश को ऐसे ही लीडरों की जरुरत है जो अपने नहीं देश हितों की बात करें , बदकिस्मती से ज्यादा राजनेता सत्ता सुख की प्राप्ति के लिए अपने हितों को देश भक्ति बता रहे हैं। शाही इमाम ने कहा कि देश की एकता के लिए सांप्रदायिक तत्वों को रोका जाए और सभी धर्मो के लोगों को आपस में जोडऩे की कोशिश की जाए। इस अवसर पर मौलाना मुहम्मद उस्मान लुधियानवी ने कहा कि इतिहास बताता है कि मौलाना हबीब उर रहमान लुधियानवी के गांधी जी से विचारिक मतभेद रहे, मौलाना लुधियानवी और सुभाष चन्द्र बोस हमेशा अहिंसा के साथ-साथ भगत सिंह शहीद जैसे सभी देशभक्तों का भी समर्थन करते थे इसके बावजूद मौलाना ने कभी भी गांधी जी के सम्मान में कोई कमी नहीं आने दी। उन्होंने ने कहा कि सभी देशवासियों को यह बात समझ लेनी चाहिए कि यह देश गांधी जी की रणनीति और भगत सिंह जैसे बलिदानियों की वजह से ही आजाद हुआ है हमें सब का बराबर सम्मान करना है।