कश्मीर की पहली फुटबॉल महिला कोच बनीं नादिया निघात

डंके की चोट पर 'सिर्फ सच'

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कश्मीर की पहली फुटबॉल महिला कोच बनीं नादिया निघात

नादिया निघात ने लोगों की सोच से हटकर कुछ अलग कर दिखाया है. नादिया निघात कश्मीर की फहली महिला फुटबॉल कोच बनी हैं. नादिया के लिए कोच बनने का ये सफर तय करना आसान नहीं था. कई मुश्किलों को पार करते हुए नादिया फुटबॉल कोच बनीं. 20 वर्षीय नादिया को अपने इस


कश्मीर की पहली फुटबॉल महिला कोच बनीं नादिया निघातनादिया निघात ने लोगों की सोच से हटकर कुछ अलग कर दिखाया है. नादिया निघात कश्मीर की फहली महिला फुटबॉल कोच बनी हैं. नादिया के लिए कोच बनने का ये सफर तय करना आसान नहीं था. कई मुश्किलों को पार करते हुए नादिया फुटबॉल कोच बनीं.

20 वर्षीय नादिया को अपने इस कदम के लिए बहुत लोगों की आलोचना का सामना करना पड़ा है. अपने इस सफर के बारे में नादिया कहती हैं, 'मैं 40-50 पुरुषों के बीच स्थानीय कॉलेज में ट्रेनिग के लिए एकलौती महिला थी. 

इसके कारण मुझे और मेरे परिवार को बहुत मुसीबतों का सामना करना पड़ा. लोग मेरी फुटबॉल खेलने वाली पोशाक को लेकर भी मेरी आलोचना करते थे. पहले मेरा परिवार मेरे इस फैसले के खिलाफ था, लेकिन बाद में मुझे मेरे पिता का पूरा सहयोग मिला. कुछ समय बाद परिवार वाले समझने लगे और वो भी मेरे इस फैसले में मेरा सहयोक करने लगे.'

नादिया लियोनेल मेसी और क्रिस्टियानो रोनाल्डो, जिनको वे बेहद पसंद करती है उनके के बारे में बताने के बाद उन्होंने फुटबॉल से अपने प्रेम के बारे में भी बातें की. नादिया ने बताया कि वे अमर सिंह कॉलेज एकेडमी में खेल को अच्छे से सीखने के लिए भर्ती हुईं. इससे उन्हे अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में सफलता मिली.

नादिया ने ये भी कहा कि घाटी के हालतों के चलते भी उन्हे मुसीबतों का सामना करना पड़ता था. शहर में बंद के चलते उनका खेल भी बाधित होता था.  नादिया अब महाराष्ट्र के थाने में एक स्कूल में बच्चों को फुटबॉल सिखाती हैं. इसके साथ ही वे लोगों से अपील करती हैं कि वे अपनी बेटियों को फुटबॉल खेलने दें. वे कहती हैं कि फुटबॉल सिर्फ पुरुषों का ही नहीं बल्की महिलाओं का भी खेल हैं.