PM मोदी ने न्यूयॉर्क टाइम्स में महात्मा गांधी पर लिखा लेख

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PM मोदी ने न्यूयॉर्क टाइम्स में महात्मा गांधी पर लिखा लेख

नई दिल्ली। देश बुधवार को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न्यूयॉर्क टाइम्स में एक लेख लिखा है, जिसमें उन्होंने बापू के बारे में कई अहम बातें लिखी हैं। पीएम ने लिखा है कि गांधी जी एक ऐसे व्यक्ति


PM मोदी ने न्यूयॉर्क टाइम्स में महात्मा गांधी पर लिखा लेख
नई दिल्ली। देश बुधवार को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न्यूयॉर्क टाइम्स में एक लेख लिखा है, जिसमें उन्होंने बापू के बारे में कई अहम बातें लिखी हैं। पीएम ने लिखा है कि गांधी जी एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्हें समाज के हर वर्ग का भरोसा हासिल था। उनका जन्म भले ही भारत में हुआ हो, लेकिन उनके विचार का असर पूरी दुनिया में दिखता है।
पीएम मोदी ने न्यूयॉर्क टाइम्स में महात्मा गांधी पर लिखा लेख, कहा- समाज के हर तबके को उन पर भरोसा था पीएम मोदी ने लिखा है, महात्मा गांधी को समाज के हर वर्ग का विश्वास हासिल था। बात 1917 की है। गुजरात के अहमदाबाद में टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज़ में एक बड़ी हड़ताल हुई। मिल मालिकों और मजदूरों के बीच झगड़े के चलते बात नहीं बनी। तभी गांधी जी ने मध्यस्थता करते हुए इस मामले को सुलझा दिया।
पीएम मोदी के मुताबिक, गांधी जी मजदूरों के कल्याण के लिए भी लड़ते रहे। उन्होंने लिखा, मजदूरों को अधिकार दिलाने के लिए उन्होंने मजदूर महाजन संघ की स्थापना की। आपको देखकर लगेगा कि ये कोई साधारण संगठन होगा, लेकिन गांधी जी के कई कदमों के चलते इस संगठन का काफी असर दिखा। उन दिनों बड़े लोगों का सम्मान करने के लिए लोग उन्हें महाजन कहते थे। गांधी जी चाहते थे कि लोग मजदूरों का भी सम्मान करें, इसलिए उन्होंने मजदूरों के नाम के साथ महाजन जोड़ दिया।
पीएम मोदी के मुताबिक, गांधी जी के पास हर चीज़ का समाधान था, हमें रास्ता दिखाने के लिए गांधी जी सबसे अच्छे टीचर हैं। स्थायी विकास को आगे बढ़ाने, आर्थिक आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करना और मानवता में विश्वास रखने वालों को एकजुट करना, गांधी हर समस्या का समाधान देते हैं।
पीएम मोदी आगे लिखते हैं, गांधी छोटी चीजों को भी बड़ी राजनीति से जोड़ देते थे। एक राष्ट्र के लिए आर्थिक आत्मनिर्भरता और सशक्तीकरण के प्रतीक के रूप में चरखा और खादी के कपड़े का इस्तेमाल भला कौन कर सकता था?