कभी 300 रुपये की नौकरी करते थे रिलायंस के फाउंडर धीरूभाई अंबानी
रिलायंस इंडस्ट्रीज के मुखिया मुकेश अंबानी आज भारत के सबसे आदमी हैं और उनके भाई अनिल अंबानी भी देश के सबसे अमीरों की सूची में 68वें नंबर पर हैं। इनका व्यापार भारत ही नहीं, दुनिया के कई देशों में फैला हुआ है। लेकिन क्या आपको पता है कि जो अंबानी परिवार
रिलायंस इंडस्ट्रीज के मुखिया मुकेश अंबानी आज भारत के सबसे आदमी हैं और उनके भाई अनिल अंबानी भी देश के सबसे अमीरों की सूची में 68वें नंबर पर हैं। इनका व्यापार भारत ही नहीं, दुनिया के कई देशों में फैला हुआ है।
लेकिन क्या आपको पता है कि जो अंबानी परिवार आज इतना धनी है, वो कभी बहुत गरीब हुआ करता था। एक समय था जब रिलायंस इंडस्ट्रीज के संस्थापक धीरूभाई अंबानी पेट्रोल पंप पर 300 रुपये प्रति महीने की नौकरी करते थे।
28 दिसंबर, 1932 को गुजरात के जूनागढ़ जिले के छोटे से गांव चोरवाड़ में जन्मे धीरूभाई अंबानी जब दुनिया छोड़ कर गए, उस समय उनकी संपत्ति 62 हजार करोड़ रुपये से भी अधिक थी। लेकिन इतनी संपत्ति उनके लिए आसान नहीं था। इसके लिए उन्होंने जीतोड़ मेहनत की है।
धीरूभाई अंबानी चार भाई-बहन थे और उनके पिता एक साधारण से शिक्षक थे। उनका शुरुआती जीवन काफी कष्टमय था। बड़ा परिवार होने के कारण उन्हें आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता था।
अपनी इन्ही परेशानियों को देखते हुए उन्हें स्कूली शिक्षा बीच में ही छोड़नी पड़ी और पिता की मदद करने के लिए उन्होंने छोटे-मोटे काम करने शुरू कर दिए।
कहा जाता है कि धीरूभाई अंबानी पहले फल और नाश्ता बेचने का काम करते थे, लेकिन इससे उनको कुछ खास फायदा नहीं हुआ, जिसके बाद उन्होंने ये काम छोड़कर पकौड़े बेचना शुरू किया। हालांकि ये व्यवसाय भी उन्हें रास नहीं आया, जिसके बाद उन्होंने इस काम को भी बंद कर दिया और पिता की सलाह पर नौकरी करने की सोची।
इसके लिए वो यमन चले गए और वहां एक पेट्रोल पंप पर 300 रुपये प्रति महीने की नौकरी करने लगे। वहां महज दो साल ही नौकरी करने के बाद अपनी काबिलियत के दम पर वो प्रबंधक बन गए, लेकिन एक बिजनेसमैन बनने की ललक उन्हें वापस भारत खींच लाई।
लेकिन क्या आपको पता है कि जो अंबानी परिवार आज इतना धनी है, वो कभी बहुत गरीब हुआ करता था। एक समय था जब रिलायंस इंडस्ट्रीज के संस्थापक धीरूभाई अंबानी पेट्रोल पंप पर 300 रुपये प्रति महीने की नौकरी करते थे।
28 दिसंबर, 1932 को गुजरात के जूनागढ़ जिले के छोटे से गांव चोरवाड़ में जन्मे धीरूभाई अंबानी जब दुनिया छोड़ कर गए, उस समय उनकी संपत्ति 62 हजार करोड़ रुपये से भी अधिक थी। लेकिन इतनी संपत्ति उनके लिए आसान नहीं था। इसके लिए उन्होंने जीतोड़ मेहनत की है।
धीरूभाई अंबानी चार भाई-बहन थे और उनके पिता एक साधारण से शिक्षक थे। उनका शुरुआती जीवन काफी कष्टमय था। बड़ा परिवार होने के कारण उन्हें आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता था।
अपनी इन्ही परेशानियों को देखते हुए उन्हें स्कूली शिक्षा बीच में ही छोड़नी पड़ी और पिता की मदद करने के लिए उन्होंने छोटे-मोटे काम करने शुरू कर दिए।
कहा जाता है कि धीरूभाई अंबानी पहले फल और नाश्ता बेचने का काम करते थे, लेकिन इससे उनको कुछ खास फायदा नहीं हुआ, जिसके बाद उन्होंने ये काम छोड़कर पकौड़े बेचना शुरू किया। हालांकि ये व्यवसाय भी उन्हें रास नहीं आया, जिसके बाद उन्होंने इस काम को भी बंद कर दिया और पिता की सलाह पर नौकरी करने की सोची।
इसके लिए वो यमन चले गए और वहां एक पेट्रोल पंप पर 300 रुपये प्रति महीने की नौकरी करने लगे। वहां महज दो साल ही नौकरी करने के बाद अपनी काबिलियत के दम पर वो प्रबंधक बन गए, लेकिन एक बिजनेसमैन बनने की ललक उन्हें वापस भारत खींच लाई।