जिस्म बेचना यहां की परंपरा है, जो लड़की नहीं मानती उसका हो जाता है गांव निकाला

डंके की चोट पर 'सिर्फ सच'

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जिस्म बेचना यहां की परंपरा है, जो लड़की नहीं मानती उसका हो जाता है गांव निकाला

इसे आप देश का दुर्भाग्य ही कह सकते हैं कि एक तरह हम इंटरनेट युग में जी रहे हैं वहीं दूसरी ओर भारत के कुछ ऐसे गांव हैं जहां लड़कियों को जिस्म बेचना उनकी मजबूरी या धंधा नहीं बल्कि सदियों से चली आ रही एक परंपरा है जिसे एमपी का मंदसौर और नीमच जिला शिद्द


जिस्म बेचना यहां की परंपरा है, जो लड़की नहीं मानती उसका हो जाता है गांव निकालाइसे आप देश का दुर्भाग्य ही कह सकते हैं कि एक तरह हम इंटरनेट युग में जी रहे हैं वहीं दूसरी ओर भारत के कुछ ऐसे गांव हैं जहां लड़कियों को जिस्म बेचना उनकी मजबूरी या धंधा नहीं बल्कि सदियों से चली आ रही एक परंपरा है जिसे एमपी का मंदसौर और नीमच जिला शिद्दत से निभा रहा है।

भोपाल के मात्र 350 किमी पर बसे मंदसौर में एक बछाड़ा समुदाय के लोग रहते हैं जिनकी परंपरा है कि जिस घर में बड़ी बेटी है वो देह व्यापार करेगी। हद तो यह है कि यह परंपरा को समुदाय के लोग अपने जीवन का हिस्सा मान चुके हैं और उन्हें अब इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है खुद महिलाएं और लड़कियां भी इस बात का बुरा नहीं मानती हैं और खुशी-खुशी इस व्यापार का हिस्सा बन जाती हैं।

एमपी के रतलाम, मंदसौर व नीमच जिले के कुल 68 गांवों में बछाड़ा समुदाय के लोग रहते हैं जिनकी लड़कियां अपनी जिस्म बेचती हैं।

परंपरा के मुताबिक जिस घर में बड़ी बेटी है वो अपना जिस्म बेचेगी। जो इस परंपरा का पालन नहीं करता है उसे समुदाय और गांव से निकाल दिया जाता है। ऐसा माना जाता है कि ये समुदाय के लोगों ने राजपूतों की रक्षा के लिए अपनी महिलाओं को वैश्या के रूप में गुप्तचर बनाया था इस कारण इनके यहां वैश्या बनना बुरा नहीं माना जाता है।