अकबर की ख़बर रोको, आयकर छापे की लाओ, कुछ करो, जल्दी भटकाओ...

डंके की चोट पर 'सिर्फ सच'

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अकबर की ख़बर रोको, आयकर छापे की लाओ, कुछ करो, जल्दी भटकाओ...

रवीश कुमार आप अकबर की ख़बर को लेकर फेसबुक पोस्ट और यू ट्यूब वीडियो को ग़ौर कीजिए. इनके शेयर होने की रफ़्तार धीमी हो गई है. प्रिंट मीडिया में अकबर की ख़बर को ग़ायब कर दिया गया है. ज़िला संस्करणों के अख़बार में अकबर की ख़बर तीन चार लाइन की है. दो तीन


अकबर की ख़बर रोको, आयकर छापे की लाओ, कुछ करो, जल्दी भटकाओ...रवीश कुमार 
आप अकबर की ख़बर को लेकर फेसबुक पोस्ट और यू ट्यूब वीडियो को ग़ौर कीजिए. इनके शेयर होने की रफ़्तार धीमी हो गई है. प्रिंट मीडिया में अकबर की ख़बर को ग़ायब कर दिया गया है. ज़िला संस्करणों के अख़बार में अकबर की ख़बर तीन चार लाइन की है. दो तीन दिन तो छपी ही नहीं. उन ख़बरों में कोई डिटेल नहीं है. एक पाठक के रूप में क्या यह आपका अपमान नहीं है कि जिस अख़बार को आप बरसों से ख़रीद रहे हैं वह एक विदेश राज्य मंत्री स्तर की ख़बर नहीं छाप पा रहा है?

क्या आपने इसी भारत की कल्पना की थी? हिन्दी के अखबारों ने अकबर के मामले में मेरी बात को साबित किया है कि हिन्दी के अख़बार हिन्दी के पाठकों की हत्या कर रहे हैं. लोगों को कुछ पता नहीं है. हर जगह आलोक नाथ की ख़बर प्रमुखता से है मगर अकबर की ख़बर नहीं है. है भी तो इस बात का ज़िक्र नहीं है कि अकबर पर किन किन महिला पत्रकारों ने क्या क्या आरोप लगाए गए हैं. अख़बार जनता के ख़िलाफ़ हो गए हैं. सोचिए अखबारों पर निर्भर रहने वाले कई करोड़ पाठकों को पता ही नहीं चला होगा कि अकबर पर क्या आरोप लगा है.

अकबर की ख़बर को भटकाने के लिए रास्ता खोजा जा रहा है. पुराना तरीका रहा है कि आयकर विभाग से छापे डलवा दो. ताकि गोदी मीडिया को वैधानिक( legitimate) ख़बर मिल जाए. लगे कि छापा तो पड़ा है और हम इसे कवर कर रहे हैं. ख़बरों को मैनेज करने वालों को कुछ सूझ नहीं रहा है. इसलिए हिन्दी अख़बारों को अकबर की ख़बर से रोक दिया गया है. दूसरी तरफ आयकर के छापे डलवा कर दूसरी खबरों को बड़ा और प्रमुख बनने का अवसर बनाया जा रहा है. हाल के दिनों में quint वेबसाइट ने सरकार की आर्थिक नीतियों को लेकर आलोचनात्मक रिपोर्टिंग की है. अब इसके मालिक राघव बहल के यहां छापे की ख़बर आ रही है. इस तरह से मीडिया में सनसनी पैदा किया जा रहा है. विपक्ष के नेताओं के यहां छापे पड़ेंगे.

आयकर छापे की खबर अकबर और रफाल डील की ख़बर को रोकने या गायब करने के लिए ज़रूरी है. फ्रांस के अख़बार मीडियापार्ट ने नई रिपोर्ट छापी है. दास्सो एविएशन के दस्तावेज़ों को देखकर बताया है कि भारत सरकार ने शर्त रख दी थी कि अनिल अंबानी की कंपनी को पार्टनर बनाने के लिए दबाव डाला गया था. यह अब तक का और भी प्रमाणित दस्तावेज़ है. रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण फ्रांस ही गईं हैं. फ्रेंच मीडिया में इस तरह की बात छप रही हो और रक्षा मंत्री फ्रांस में हैं. सोचिए भारत की क्या स्थिति होगी. सरकार चुप है.

सरकार आर्थिक हालात पर भी चुप है. एक डॉलर 74.45 रुपये का हो गया है. पीयूष गोयल को यह रुपये का स्वर्ण युग लगता है. उन्हें शायद यकीं है कि जनता को मूर्ख बनाने का प्रोजेक्ट 50 साल के लिए पूरा हो चुका है. अब वह वही सुनेगी या समझेगी तो हम कहेंगे. पेट्रोल डीज़ल के दाम फिर से बढ़ने लगे हैं. 90 रुपये पर 5 रुपया कम इसलिए किया गया ताकि चुनाव के दौरान 100 रुपया लीटर न हो जाए. फिर से पेट्रोल के दाम बढ़ते हुए 90 की तरफ जाते हुए नज़र आ रहे हैं.

हां, प्रधानमंत्री चुप हैं. वे बीजेपी के कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे हैं. फेसबुक और व्हाट्स एप पर अकबर की खबर को ज्यादा से ज्यादा साझा कीजिए क्योंकि इस खबर को हिन्दी के अखबारों ने आप तक पहुंचने से रोका है. यह एक पाठक की हार है. क्या पाठक अपने हिन्दी अख़बारों का ग़ुलाम हो चुका है? हिन्दी के अख़बार आपको ग़ुलाम बना रहे हैं. आपको इनसे लड़ना ही होगा.

(लेखक मशहूर पत्रकार एंव एंकर हैं, यह लेख उनके फेसबुक पेज से लिया गया है)