बेटी के इस उम्र में कदम रखते ही यहां केले के पेड़ से की जाती है शादी...

डंके की चोट पर 'सिर्फ सच'

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बेटी के इस उम्र में कदम रखते ही यहां केले के पेड़ से की जाती है शादी...

नई दिल्ली। असम के बोगांइगांव जिले के सोलमारी में एक अनोखी शादी का आयोजन होता है। असम की परंपरा के अनुसार यहां दुल्हन तो होती है लेकिन दूल्हा एक केले का पेड़ होता है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस अनोखी शादी को 'तोलिनी ब्याह' का नाम दिया गया है। जब ब


बेटी के इस उम्र में कदम रखते ही यहां केले के पेड़ से की जाती है शादी... नई दिल्ली। असम के बोगांइगांव जिले के सोलमारी में एक अनोखी शादी का आयोजन होता है। असम की परंपरा के अनुसार यहां दुल्हन तो होती है लेकिन दूल्हा एक केले का पेड़ होता है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस अनोखी शादी को 'तोलिनी ब्याह' का नाम दिया गया है। जब बेटी बचपन की उम्र पार कर किशोरावस्था में पहुंचती है यानि जब वह पहली बार मासिक चक्र में प्रवेश करती है तब इस शादी का आयोजन किया जाता है।
बेटी के इस उम्र में कदम रखते ही यहां केले के पेड़ से की जाती है शादी...
उत्तर भारत में जहां अब भी इस विषय पर खुलकर बात नहीं की जाती वहीं असम, तमिलाडु और आंध्र प्रदेश के कुछ इलाक़ों में लड़की जवान होने को शादी की तरह मनाया जाता है।

शादी में काफी शोर गुल, गाना-बजाना होता है। इस तोलिनी ब्याह की शुरुआत लड़की के पहले दिन से होती है।  इस दौरान उसे सूर्य की रोशनी से बचाया जाता है। खाने के लिए फल, कच्चा दूध और पीठा दिया जाता है क्योंकि वो पका हुआ खाना नहीं खा सकती।

बेटी के इस उम्र में कदम रखते ही यहां केले के पेड़ से की जाती है शादी...
लड़की को ज़मीन पर सोना होता है और जब तक रस्म पूरी नहीं हो जाती, कोई पुरुष लड़की का चेहरा नहीं देख सकता। ये शादी समारोह लड़की के सयाने होने पर किया जाता है हालांकि हर इलाके के रीति-रिवाज़ो में थोड़ा बहुत अंतर होता है। पहले निचली जाति के लोग ही अपनी बेटी के सयाने होने के बाद इस तरह का जश्न मनाते थे लेकिन अब देखा-देखी समाज का हर वर्ग इसे मनाने लगा है।