‘दो लाख करोड़’ का था डांस बार का धंधा, मुंबई पुलिस को जाता था 15 से 20 हजार करोड़ रुपये का हफ्ता

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‘दो लाख करोड़’ का था डांस बार का धंधा, मुंबई पुलिस को जाता था 15 से 20 हजार करोड़ रुपये का हफ्ता

डांस बार्स की मुंबई की अर्थव्यवस्था में बहुत बड़ी हिस्सेदारी थी। लाखों लोगों की आजीविका चलाने वाला डांस बार का धंधा कोई छोटा-मोटा व्यापार नहीं, बल्कि दो लाख करोड़ रुपये की वैध-अवैध अर्थव्यवस्था थी। धंधे के जानकारों की मानी जाए तो अगस्त 2005 में जब ड


‘दो लाख करोड़’ का था डांस बार का धंधा, मुंबई पुलिस को जाता था 15 से 20 हजार करोड़ रुपये का हफ्ताडांस बार्स की मुंबई की अर्थव्यवस्था में बहुत बड़ी हिस्सेदारी थी। लाखों लोगों की आजीविका चलाने वाला डांस बार का धंधा कोई छोटा-मोटा व्यापार नहीं, बल्कि दो लाख करोड़ रुपये की वैध-अवैध अर्थव्यवस्था थी।

धंधे के जानकारों की मानी जाए तो अगस्त 2005 में जब डांस बार बंद किए गए, तब इसका सालाना वैध कारोबार ही 40 से 42 हजार करोड़ रुपये का था। इस हिसाब से देखा जाए तो पिछले डेढ़ दशक में सरकार को कई लाख करोड़ रुपये के राजस्व का घाटा हुआ है।

मुंबई की डांस बार संस्कृति पर गहन अध्ययन करके ‘बॉम्बे बार’ शीर्षक से किताब लिखने वाले विवेक अग्रवाल ने अमर उजाला से बातचीत में बताया कि डांस बार के व्यवसाय में शराब, डांसरों पर विभिन्न मदों में होने वाले खर्च और वेश्यावृत्ति से लेकर पुलिस को दिया जाने वाला हफ्ता शामिल है। अकेले मुंबई पुलिस का हफ्ता ही करीब 15 से 20 हजार करोड़ रुपये का होता था