बंदर की मौत ने हिंदू-मुस्लिमों को किया एक, मिलकर किया अंतिम संस्कार
गुजरात के अहमदाबाद के बेहद संवेदनशील इलाके शाहपुर में मौजूद है एक दरगाह, जहां एक बंदर काफी लंबे समय से रह रहा था। दरगाह में चादर चढ़ाने आने वाले लोगों को भी उससे बेहद लगाव था। स्थानीय लोगों के ही हाथों से वह खाता था लेकिन दरगाह के परिसर में बीते दिन
गुजरात के अहमदाबाद के बेहद संवेदनशील इलाके शाहपुर में मौजूद है एक दरगाह, जहां एक बंदर काफी लंबे समय से रह रहा था। दरगाह में चादर चढ़ाने आने वाले लोगों को भी उससे बेहद लगाव था। स्थानीय लोगों के ही हाथों से वह खाता था लेकिन दरगाह के परिसर में बीते दिनों पेड़ गिरने की वजह से बंदर की मौत हो गई। इस घटना के बाद इलाके में सांप्रदायिक एकता की अद्भुत मिसाल देखने को मिली।
स्थानीय लोगों ने बंदर की अंतिम यात्रा निकालने के बाद अंतिम संस्कार किया। दरगाह से बंदर की अंतिम यात्रा निकाली गई थी, जहां स्थानीय लोगों ने राम धुन का उच्चारण किया। एक स्थानीय निवासी रमेश राठौड़ बताते हैं, 'बंदरों को हनुमान जी का स्वरूप माना जाता है।
यह एक संयोग मात्र ही है कि बंदर की मौत शनिवार को हुई और यह दिन हनुमानजी का दिन माना जाता है। इस वजह से ही हमने बंदर का अंतिम संस्कार पूरे रीति-रिवाज से करने का फैसला किया।'
दरगाह के मौलवी ने राठौड़ और दूसरे लोगों को बंदर की मौत के बारे में सूचित किया था। जब डॉक्टरों की टीम ने बंदर को मृत घोषित कर दिया, तो दोनों समुदाय के लोगों ने मिलकर बंदर का अंतिम संस्कार किया। एक दूसरे निवासी भरत भावसार ने बताया, 'बंदर को नहलाया गया, एक कपड़े में लपेटा और माथे पर सिंदूर लगाया गया।'
उन्होंने कहा, 'बंदर की अंतिम यात्रा नजदीक के एक प्लॉट तक लाई गई जहां बंदर के शव को दफना दिया गया। हम बंदर को भगवान हनुमान के अवतार के रूप में याद रखेंगे।'
स्थानीय लोगों ने बंदर की अंतिम यात्रा निकालने के बाद अंतिम संस्कार किया। दरगाह से बंदर की अंतिम यात्रा निकाली गई थी, जहां स्थानीय लोगों ने राम धुन का उच्चारण किया। एक स्थानीय निवासी रमेश राठौड़ बताते हैं, 'बंदरों को हनुमान जी का स्वरूप माना जाता है।
यह एक संयोग मात्र ही है कि बंदर की मौत शनिवार को हुई और यह दिन हनुमानजी का दिन माना जाता है। इस वजह से ही हमने बंदर का अंतिम संस्कार पूरे रीति-रिवाज से करने का फैसला किया।'
दरगाह के मौलवी ने राठौड़ और दूसरे लोगों को बंदर की मौत के बारे में सूचित किया था। जब डॉक्टरों की टीम ने बंदर को मृत घोषित कर दिया, तो दोनों समुदाय के लोगों ने मिलकर बंदर का अंतिम संस्कार किया। एक दूसरे निवासी भरत भावसार ने बताया, 'बंदर को नहलाया गया, एक कपड़े में लपेटा और माथे पर सिंदूर लगाया गया।'
उन्होंने कहा, 'बंदर की अंतिम यात्रा नजदीक के एक प्लॉट तक लाई गई जहां बंदर के शव को दफना दिया गया। हम बंदर को भगवान हनुमान के अवतार के रूप में याद रखेंगे।'