देश में 5G का सपना अभी नहीं होगा साकार, लग सकते हैं 3-4 साल

डंके की चोट पर 'सिर्फ सच'

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देश में 5G का सपना अभी नहीं होगा साकार, लग सकते हैं 3-4 साल

क्या 3 घंटे की फिल्म को 3 सेकेंड में डाउनलोड करने का सपना हकीकत बनने में अभी लंबा वक्त लेगा/ क्या टेलिकॉम इंडस्ट्री पांचवीं जेनरेशन की तकनीक जिसे आम भाषा में 5जी कहा जाता है, आम लोगों तक पहुंचाने से परहेज कर रही है/ ये सवाल तब उठ रहे हैं, जब देश में


देश में 5G का सपना अभी नहीं होगा साकार, लग सकते हैं 3-4 सालक्या 3 घंटे की फिल्म को 3 सेकेंड में डाउनलोड करने का सपना हकीकत बनने में अभी लंबा वक्त लेगा/ क्या टेलिकॉम इंडस्ट्री पांचवीं जेनरेशन की तकनीक जिसे आम भाषा में 5जी कहा जाता है, आम लोगों तक पहुंचाने से परहेज कर रही है/ ये सवाल तब उठ रहे हैं, जब देश में 5जी तकनीक को लाने की तमाम कोशिशें अपेक्षित सफलता पाती नहीं दिख रही हैं। टेलिकॉम इंडस्ट्री ने इस तकनीक को लेकर खासा उत्साह नहीं दिखाया है। इंडस्ट्री का मानना है कि टेलिकॉम कंपनियों की आर्थिक सेहत ऐसी नहीं कि वे 5जी तकनीक में आक्रामक रूप से निवेश कर सकें। न ही सरकार ने अभी तक संसाधन उपलब्ध कराए हैं।
मंदी बताई जा रही बड़ी वजह 
हाल के दिनों में टेलिकॉम इंडस्ट्री में मंदी का दौर रहा है। महंगे स्पेक्ट्रम की कीमत और डेटा वॉर के बीच इंडस्ट्री का मुनाफा लगातार कम हो रहा है। मोबाइल ऑपरेटर असोसिएशन के डीजी राजन मैथ्यूज ने कहा कि ऐसे समय जब इंडस्ट्री खुद नाजुक दौर से गुजर रही है, उसके सामने मौजूदा तकनीक और सर्विस को बेहतर तरीके से देते रहना ही एक चुनौती है। इस सूरत में 5जी में निवेश करना इंडस्ट्री के लिए आसान बात नहीं। वह इस मामले में सरकार से नरम नीति की अपेक्षा रखती है। वहीं सरकार 5जी तकनीक को बेचकर अपनी माली हालत दुरुस्त करने की मंशा रखती है। अभी के टारगेट के हिसाब से सरकार को इस साल 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी करनी है, मगर अभी जो हालात हैं, उस हिसाब से इसमें देरी होनी तय है।
दक्षिण कोरिया, चीन, जापान भर रहे फर्राटा 
भारत से बाहर देखें तो दक्षिण कोरिया, चीन, जापान जैसे देश अगले साल 5जी तकनीक को लोगों तक पहुंचाने के लिए पूरी तरह तैयार हैं और इसके लिए उनका होमवर्क भी पूरा हो चुका है। दरअसल, जिस तरह बुलेट ट्रेन के लिए पूरी तरह अलग ट्रैक बनाने की जरूरत होती है, उसी तरह 5जी तकनीक के लिए भी खास इंतजाम करने होते हैं। इसके लिए 80 फीसदी मोबाइल टावर को ऑप्टिकल फाइबर से लैस करने की जरूरत होती है, जबकि देश में मात्र 15त्न टावर इस तकनीक से जुड़े हैं। इंडस्ट्री के मुताबिक, अभी जो स्थिति है, उसमें 5जी तकनीक आने में तीन-चार साल लग सकते हैं। जानकारों का यह भी कहना है कि जब 4जी तकनीक ही पूरे देश में अपने पैमानों पर खरी नहीं उतर रही, ऐसे में 5जी की बात करना जल्दबाजी ही है। एक सर्वे में आया भी है कि 4जी सर्विस पूरे विश्व में सबसे धीमी भारत में ही है।
सरकार कर रही यह दावा 
सरकार का कहना है कि 5जी जैसी तकनीक देश में आए, इसे देखते हुए ही नई टेलिकॉम नीति बनाई गई है और इसे केंद्र सरकार ने पिछले महीने ही मंजूरी दी है। प्रस्तावित नीति में टेलिकॉम सेक्टर में लाइसेंसिंग और फ्रेमवर्क, सभी के लिए कनेक्टिविटी, सेवाओं की गुणवत्ता, व्यापार करने में आसानी और नई तकनीक पर जोर जैसे 5जी और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) जैसी चीजें शामिल हैं। इस नीति में टेलिकॉम सेक्टर में 100 अरब डॉलर के निवेश को किस तरह आकर्षित किया जाए, इस बारे में भी रोडमैप दिया गया है। सरकार का दावा है कि इसमें 5जी के लिए भी रोडमैप है, जिसमें बताया गया है कि किस तरह इसकी राह में मौजूद बाधाओं को दूर किया जा सकता है।
5जी तकनीक से आएगी सूचना क्रांति 
जानकारों का मानना है कि 5जी से तकनीक में नई क्रांति आ जाएगी। इसे 4जी तकनीक से 1000 गुना तेज माना जाता है। इस तकनीक के उपयोग में आने के बाद दैनिक जरूरतों से जुड़ी तकनीकी सुविधाएं भी हाइटेक हो जाएंगी।