इस किले में आज भी रखा है 1 लाख करोड़ का खजाना

डंके की चोट पर 'सिर्फ सच'

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इस किले में आज भी रखा है 1 लाख करोड़ का खजाना

नई दिल्ली। ग्वालियर फोर्ट स्थित जहांगीर महल एवं शाहजहां महल के बीच में स्थित बावड़ी एवं पास में स्थित जोहर कुंड मुगलकालीन जल प्रबंधन एवं जल संग्रहण का बेहतरीन उदाहरण है। इसमें बारिश का पानी छतों से एवं आंगन से बहते हुए स्टोन की ढलावदार नालियों से प्


इस किले में आज भी रखा है 1 लाख करोड़ का खजानानई दिल्ली। ग्वालियर फोर्ट स्थित जहांगीर महल एवं शाहजहां महल के बीच में स्थित बावड़ी एवं पास में स्थित जोहर कुंड मुगलकालीन जल प्रबंधन एवं जल संग्रहण का बेहतरीन उदाहरण है। 

इसमें बारिश का पानी छतों से एवं आंगन से बहते हुए स्टोन की ढलावदार नालियों से प्रवाहित होकर दोनों कुंड में एकत्रित होता है, जो साल के अन्य दिनों में पानी की मांग को तो पूरा करता ही था, साथ ही किले के अन्य तालों को रिचार्ज भी करता था।

पानी लाने के लिए तल तक सीढिय़ां बनी हुईं हैं, जो पानी का लेवल कम होने के साथ दिखाई देने लगती थीं। ये सिस्टम आज भी अस्तित्व में है। क्या है खजाने का रहस्य…रास्तों का रहस्य कोड वर्ड के तौर पर : ग्वालियर फोर्ट के गुप्त तहखानों में सिंधिया के महाराजा ने करोड़ों का खजाना रखवाया था। 

इन तहखानों को ‘गंगाजली’ नाम दिया गया था। यहां तक पहुंचने के रास्तों का रहस्य कोड वर्ड के तौर पर ‘बीजक’ में महफूज रखा गया। जयाजीराव ने 1857 के संघर्ष के दौरान बड़ी मुश्किल से पूर्वजों के इस खजाने को विद्रोहियों और अंग्रेज फौज से बचा कर रखा।

खजाने को खोने का लगा रहता था डर :‘बीजक’ का रहस्य सिर्फ महाराजा जानते थे। 1857 के गदर के दौरान महाराज जयाजीराव सिंधिया को यह चिंता हुई कि किले का सैनिक छावनी के रूप में उपयोग कर रहे अंग्रेज कहीं खज़ाने को अपने कब्जे में न ले लें। साल 1886 में किला जब दोबारा सिंधिया प्रशासन को दिया गया, तब तक जयाजीराव बीमार रहने लगे थे। वे अपने वारिस माधव राव सिंधिया ‘द्वितीय’ को इसका रहस्य बता पाते, इससे पहले ही उनकी मृत्यु हो गई।

करोड़ों का खजाना और चांदी के सिक्कों के साथ अन्य बहुमूल्य रत्न :  माधवराव ने अपने सिपाहियों को बुलाया और तहखाने की छानबीन की। उस तहखाने से माधवराव सिंधिया को 2 करोड़ चांदी के सिक्कों के साथ अन्य बहुमूल्य रत्न मिले। इस खजाने के मिलने से माधवराव की आर्थिक स्थिति में बहुत मजबूत हो गई।

इन्हें मिला था करोड़ों का खजाना : माधव राव ‘द्वितीय’ जब बालिग हुए, तब तक खानदान में ‘गंगाजली’ खजाने को लेकर ऊहापोह और बेचैनी रही। इसी दौरान अंग्रेज कर्नल बैनरमेन ने गंगाजली की खोज में उनकी सहायता का प्रस्ताव दिया। सिंधिया खानदान के प्रतिनिधियों की निगरानी में कर्नल ने ‘गंगाजली’ की बहुत तलाश की, लेकिन पूरा खजाना नहीं मिल सका गंगाजली की पूरी कीमत 1.50 लाख करोड़ आंकी गई। 

कहा जाता है कि पूरा खजाना तो नहीं मिला, लेकिन जो भी मिला, उसकी कीमत उन दिनों करीब 62 हजार करोड़ रुपए आंकी गई थी। कर्नल बैनरमेन ने इस तहखाने को देख कर अपनी डायरी में इसे ‘अलादीन का खजाना’ लिखा था। कहा जाता है कि गंगाजली के कई तहखाने आज भी महफूज हैं और सिंधिया घराने की पहुंच से बाहर हैं।