दूल्हा बनने से पहले यहां किया जाता है यह गंदा काम...
हर देश में शादी से जुड़े अनेकों रीति-रिवाज होते हैं, जिसे पूरी मान्यता और परंपरा के साथ मनाया जाता है। हालांकि किसी दूसरी जनजाति और धर्म के लिए किसी अन्य जाति के रिवाज देखने-सुनने में अजीबो-गरीब हो सकते हैं। आज हम आपको भारत के मध्यप्रदेश और छतीसगढ़
हर देश में शादी से जुड़े अनेकों रीति-रिवाज होते हैं, जिसे पूरी मान्यता और परंपरा के साथ मनाया जाता है। हालांकि किसी दूसरी जनजाति और धर्म के लिए किसी अन्य जाति के रिवाज देखने-सुनने में अजीबो-गरीब हो सकते हैं।
आज हम आपको भारत के मध्यप्रदेश और छतीसगढ़ के आदिवासी इलाके में रहने वाली ऐसी ही एक आदिवासी जनजाति के बारे में बताते हैं, जहां शादी करने से पहले जानवर का खून पीना पड़ता है।
यह रिवाज तो सुनने में ही बड़ा अटपटा सा लगता है। इस जनजाति का नाम गौंड है। इस जनजाति के लोग आज भी पुराने नियम कायदे का पालन करते है। शादी के समय दूल्हा और दुल्हन का विवाह तभी माना जाता है जब दूल्हा एक जानवर को मारकर उसका खून पिएं। रस्मों के अनुसार, दूल्हा पक्ष के लोग बारात के साथ जिंदा सूअर लेकर आते हैं।
आखिरी रस्म में दूल्हे को सूअर मारना पड़ता है और उसके पैर से खून पीना पड़ता है। अगर वह इस रस्म को निभाने से इंकार करता है तो यह विवाह संपन्न नहीं माना जाता।
आज हम आपको भारत के मध्यप्रदेश और छतीसगढ़ के आदिवासी इलाके में रहने वाली ऐसी ही एक आदिवासी जनजाति के बारे में बताते हैं, जहां शादी करने से पहले जानवर का खून पीना पड़ता है।
यह रिवाज तो सुनने में ही बड़ा अटपटा सा लगता है। इस जनजाति का नाम गौंड है। इस जनजाति के लोग आज भी पुराने नियम कायदे का पालन करते है। शादी के समय दूल्हा और दुल्हन का विवाह तभी माना जाता है जब दूल्हा एक जानवर को मारकर उसका खून पिएं। रस्मों के अनुसार, दूल्हा पक्ष के लोग बारात के साथ जिंदा सूअर लेकर आते हैं।
आखिरी रस्म में दूल्हे को सूअर मारना पड़ता है और उसके पैर से खून पीना पड़ता है। अगर वह इस रस्म को निभाने से इंकार करता है तो यह विवाह संपन्न नहीं माना जाता।