170 चुनाव लड़ चुका है ये शख्स, लेकिन जीता एक भी नहीं
नई दिल्ली। आज हम आपको ऐसे शख्स से मिलवा रहे हैं जो खुद को ‘ऑल इंडिया इलेक्शन किंग’ कहता है। इसकी वजह भी खास है, क्योंकि वह आज तक 170 चुनाव लड़ चुका है, लेकिन उसे आज तक किसी भी चुनाव सफलता हाथ नहीं लगी। इस इंसान हार ने भी एक रिकॉर्ड काम किया। उनका ना
नई दिल्ली। आज हम आपको ऐसे शख्स से मिलवा रहे हैं जो खुद को ‘ऑल इंडिया इलेक्शन किंग’ कहता है। इसकी वजह भी खास है, क्योंकि वह आज तक 170 चुनाव लड़ चुका है, लेकिन उसे आज तक किसी भी चुनाव सफलता हाथ नहीं लगी।
इस इंसान हार ने भी एक रिकॉर्ड काम किया। उनका नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में ‘भारत के सबसे असफल उम्मीदवार’ के रूप में भी दर्ज हो चुका है। कुछ लोग बार-बार कोशिश करने के बावजूद हार नहीं मानते और यह बात डॉ। के पद्मराजन पर बिल्कुल सटीक बैठती है।
दरअसल, तमिलनाडु के सलेम के रहने वाले डॉ.पद्मराजन ने साल 1988 में पहली बार चुनाव लड़ने के लिए मैदान में कदम रखा, लेकिन इसमें उन्हें जीत हासिल नहीं हुई। लेकिन इसके बाद भी उनका जज्बा कम नहीं हुआ। इसके बाद वह लगातार चुनावी दंगल में उतरते रहे और हारते रहे। डॉ. के पद्मराजन अभी तक 170 चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन 60 साल के पद्मराजन एक भी चुनाव नहीं जीत पाए।
डॉ. पद्मराजन एक होम्योपैथिक डॉटक्र हैं, जो बाद में बिजनेसमैन बन गए। वे खुद को ऑल इंडिया इलेक्शन किंग बोलते हैं। वे स्थानीय चुनावों से लेकर लोकसभा चुनावों तक में अपना हाथ आजमा चुके हैं। यही नहीं, वे राष्ट्रपति पद के लिए होने वाला चुनाव भी लड़ चुके हैं, लेकिन यहां भी असफल हुए।
इस इंसान हार ने भी एक रिकॉर्ड काम किया। उनका नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में ‘भारत के सबसे असफल उम्मीदवार’ के रूप में भी दर्ज हो चुका है। कुछ लोग बार-बार कोशिश करने के बावजूद हार नहीं मानते और यह बात डॉ। के पद्मराजन पर बिल्कुल सटीक बैठती है।
दरअसल, तमिलनाडु के सलेम के रहने वाले डॉ.पद्मराजन ने साल 1988 में पहली बार चुनाव लड़ने के लिए मैदान में कदम रखा, लेकिन इसमें उन्हें जीत हासिल नहीं हुई। लेकिन इसके बाद भी उनका जज्बा कम नहीं हुआ। इसके बाद वह लगातार चुनावी दंगल में उतरते रहे और हारते रहे। डॉ. के पद्मराजन अभी तक 170 चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन 60 साल के पद्मराजन एक भी चुनाव नहीं जीत पाए।
डॉ. पद्मराजन एक होम्योपैथिक डॉटक्र हैं, जो बाद में बिजनेसमैन बन गए। वे खुद को ऑल इंडिया इलेक्शन किंग बोलते हैं। वे स्थानीय चुनावों से लेकर लोकसभा चुनावों तक में अपना हाथ आजमा चुके हैं। यही नहीं, वे राष्ट्रपति पद के लिए होने वाला चुनाव भी लड़ चुके हैं, लेकिन यहां भी असफल हुए।