फतेहपुर सीकरी में बसों के लिए इधर-उधर भटक रहे सैलानी

डंके की चोट पर 'सिर्फ सच'

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फतेहपुर सीकरी में बसों के लिए इधर-उधर भटक रहे सैलानी

मोहम्मद कदीर, आगरा। फतेहपुर सीकरी गुलिस्ता टूरिस्ट कंपलेक्स की पार्किंग से बुलंद दरवाजे की ओर आने वाली सीएनजी बस तो पहले से ही बंद कर दी गई थी। जिसके कारण आने वाले सैलानियों को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। अब गुलिस्तां पार्किंग से छह सीएनज


फतेहपुर सीकरी में बसों के लिए इधर-उधर भटक रहे सैलानीमोहम्मद कदीर, आगरा। फतेहपुर सीकरी गुलिस्ता टूरिस्ट कंपलेक्स की पार्किंग से बुलंद दरवाजे की ओर आने वाली सीएनजी बस तो पहले से ही बंद कर दी गई थी। जिसके कारण आने वाले सैलानियों को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। अब गुलिस्तां पार्किंग से छह सीएनजी बसों द्वारा आने वाले सैलानियों को दीवाने आम की टिकट विंडो तक लाया जाता है।

परंतु उन छह बसों में से भी 3 बस खराब होने के कारण सिर्फ तीन बसों द्वारा ही देश-विदेश से आने वाले सैलानीयो को भ्रमण के स्थान तक पहुंचाया जा रहा है। बसों के अभाव के कारण आने वाले सैलानियों को घंटों खड़ा रहना पड़ रहा है। इसके बारे में जब सैलानियों से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि हमें सिर्फ रविवार की छुट्टी मिलती है। इतने वक्त में हम फतेहपुर सीकरी आगरा दोनों ही घूमना चाहते थे लेकिन हमारा ज्यादा समय फतेहपुर सीकरी में बस ना होने के कारण और पैदल चलने की वजह से ही खत्म हो गया। अब शायद हमारा आगरा घूमना मुश्किल होगा।
फतेहपुर सीकरी में बसों के लिए इधर-उधर भटक रहे सैलानी
इससे पूर्व में भी झारखंड से आए एक जायरीन कन्हैया लाल सर्राफ ने कहा कि हम तो सिर्फ सूफी संत हजरत शेख सलीम चिश्ती की दरगाह पर दर्शन के लिए आए थे। परंतु हमें बस के द्वारा जोधाबाई महल के दीवाने आम के गेट पर छोड़ा गया। वहां से दरगाह तक हमें पैदल चलकर आना पड़ा है। मेरी पत्नी को पैदल चलने में तकलीफ है। जिसकी वजह से मुझे यहां तक पैदल आने में बहुत कठिनाई का सामना करना पड़ा है। जिसके बारे में कन्हैयालाल सर्राफ ने मजार पर मौजूद शिकायत पुस्तिका में लिखित में शिकायत भी लिखी है।

बताते चलें  कि इससे पहले भी बसों के अभाव के कारण देश-विदेश से आने वाले सैलानियों को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा है। आखिर कब इस समस्या का समाधान होगा। इन समस्याओं के बारे में अधिकारियों को टीवी चैनल व अखबारों के माध्यम से कई बार अवगत कराया जा चुका है। परंतु साहब के कान पर जूं तक नहीं रेगती।