क्या भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को 14 फरवरी को फांसी पर लटकाया गया था?
नई दिल्ली। फरवरी की 14 तारीख को कई देशों में वैलेंटाइन डे के रूप में मनाया जाता है। लेकिन सोशल मीडिया पर फैलाए गए कुछ मैसेज में भारतीय लोगों से ये अपील की जा रही है कि वे इस अवसर को न मनाये, क्यूंकि भारतीय स्वतंत्रता सेनानी- भगत सिंह, सुखदेव और राजग
नई दिल्ली। फरवरी की 14 तारीख को कई देशों में वैलेंटाइन डे के रूप में मनाया जाता है। लेकिन सोशल मीडिया पर फैलाए गए कुछ मैसेज में भारतीय लोगों से ये अपील की जा रही है कि वे इस अवसर को न मनाये, क्यूंकि भारतीय स्वतंत्रता सेनानी- भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु- इसी दिन शहीद हुए थे। भारतीय पहलवान बबिता फोगट भी उन में से थी जिन्होंने इस दावे को #JaiHind के साथ ट्वीट किया।
विडम्बना देखिये कि फोगट के ट्वीट में बायीं तरफ की तस्वीर में भगत सिंह की तस्वीर में ’27 Sep 1907 – 23 March 1931′ का डेट लिखा हुआ है, लेकिन दायीं तरफ की तस्वीर में ये दावा किया जा रहा है कि उनकी वर्षी 14 फरवरी को आती है। कई अन्य सोशल मीडिया यूजर्स ने ऐसे ही दावे किये और भारतीयों से अनुरोध किया कि वे शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पण करें। व्हाट्सप्प पर भी ये दावा वायरल है।
गूगल पर एक आसान खोज से पता चल जायेगा कि सोशल मीडिया पर ये सन्देश झूठा है। कई षड़यंत्र के मामलों में आरोपी साबित होने के बाद क्रन्तिकारी भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु लाहौर जेल में 23 मार्च, 1931, को फांसी पर लटकाए गए थे। उनकी सज़ा को मीडिया ने अच्छी तरह से कवर किया था। ऑल्ट न्यूज़ ने देखा कि 25 मार्च 1931 के The Tribune के पहले पन्ने पर ही ये खबर छपी थी, “भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी।”
विडम्बना देखिये कि फोगट के ट्वीट में बायीं तरफ की तस्वीर में भगत सिंह की तस्वीर में ’27 Sep 1907 – 23 March 1931′ का डेट लिखा हुआ है, लेकिन दायीं तरफ की तस्वीर में ये दावा किया जा रहा है कि उनकी वर्षी 14 फरवरी को आती है। कई अन्य सोशल मीडिया यूजर्स ने ऐसे ही दावे किये और भारतीयों से अनुरोध किया कि वे शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पण करें। व्हाट्सप्प पर भी ये दावा वायरल है।
गूगल पर एक आसान खोज से पता चल जायेगा कि सोशल मीडिया पर ये सन्देश झूठा है। कई षड़यंत्र के मामलों में आरोपी साबित होने के बाद क्रन्तिकारी भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु लाहौर जेल में 23 मार्च, 1931, को फांसी पर लटकाए गए थे। उनकी सज़ा को मीडिया ने अच्छी तरह से कवर किया था। ऑल्ट न्यूज़ ने देखा कि 25 मार्च 1931 के The Tribune के पहले पन्ने पर ही ये खबर छपी थी, “भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी।”