जब अंधे लोग देखते हैं सपना, तो ऐसा होता है मंजर...

डंके की चोट पर 'सिर्फ सच'

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जब अंधे लोग देखते हैं सपना, तो ऐसा होता है मंजर...

अक्सर हमे सोने के बाद सपने आते है और नींद व्यक्ति को सपनों की दुनिया में ले जाती है जहां वो हर उस चीज़ को पा सकता हैं जिसे हकिकत में पाना उसके लिए नामुमकिन है। कुछ सपने हमें आनंदित करते हैं तो कुछ हमारी बीती यादों के साथ मिलकर हमारे दिमाग पर एक ड़रा


जब अंधे लोग देखते हैं सपना, तो ऐसा होता है मंजर...
अक्सर हमे सोने के बाद सपने आते है और नींद व्यक्ति को सपनों की दुनिया में ले जाती है जहां वो हर उस चीज़ को पा सकता हैं जिसे हकिकत में पाना उसके लिए नामुमकिन है। कुछ सपने हमें आनंदित करते हैं तो कुछ हमारी बीती यादों के साथ मिलकर हमारे दिमाग पर एक ड़रावनी छाप छोड़ जाते हैं। क्या आपने कभी सोचा है कि एक नेत्रहीन व्यक्ति के सपने कैसे होते होंगे या वो अपने सपनों में क्या देखता होगा?
अक्सर जन्म से नेत्रहीन व्यक्ति अपने सपनों में केवल आवाज़ों को सुनता है जबकि किसी कारणवश अपनी आंखों की रोशनी गंवा चुका व्यक्ति अपनी ज़िंदगी के रंगीन पलों को दुबारा सपनों में देखता है।यदि किसी व्यक्ति ने अपनी आंखों की रोशनी 7 साल की उम्र के बाद गंवाई है तो उसके सपने एक आम व्यक्ति के समानों की तरह ही होंगे।
यदि एक व्यक्ति 50 साल की आयु के बाद नेत्रहीन हो जाता है तो उसके सपने भी उसकी आंखों की तरह धुंधले नज़र आते हैं।माना जाता है कि सपनों की रंगीन दुनिया में 5 से 7 साल की उम्र बहुत अहम भूमिका भाती है। क्योंकि एक नेत्रहीन व्यक्ति के सपने काफी स्पष्ट और हकीकत के काफी करीब होते हैं।
माना जाता है कि वे अपनी असल ज़िंदगी को ही अपने सपनों में देखते हैं तथा सपनों में जीवन के स्पर्श, भाव, ध्वनि को भी महसूस करते हैं।वे अपने आस-पास चल रही दुनिया को काफी अच्छे से महसूस कर पाते हैं तथा उनकी इंद्रियाएं इस एहसास को स्वप्न के रूप में सृजन करने में मदद करती हैं।यदि आप किसी कारणवश अपनी आंखों की रोशनी खो देते हैं तब आप भी अपने सपनों में रंगों को देख सकते हैं क्योंकि आप असल जीवन में उन रंगों को देख चुके हैं।
एक अध्ययन से यह पता चला है कि 70 प्रतिशत नेत्रहीन व्यक्ति अपने सपनों में स्पर्श महसूस कर सकते हैं जबकि बाकियों को केवल वास की अनुभूति हुई।एक आम व नेत्रहीन व्यक्ति में संवदिक अंतर चाहे जितना हो, लेकिन सपनों के साथ इन दोनों प्रकार के लोगों का भावनात्मक लगाव एक समान रहता है। इससे पता चलता है कि एक नेत्रहीन व्यक्ति के सपने भी आम लोगों की तरह ही होते हैं।
यह भी कहा गया है कि जब एक नेत्रहीन व्यक्ति अपने सपनों में रोशनी का वर्णन करता है तो वह असल रोशनी नहीं है। बल्कि, मस्तिष्क द्वारा भेजे गए संकेत उसे रोशनी के रूप में नज़र आते हैं।इसका मतलब यह हुआ कि सपनों को स्पष्ट व प्रभावी महसूस कराने के लिए एक नेत्रहीन व्यक्ति का मस्तिष्क संकेत भेजता है।