हज उमराह पर जाने के लिए देनी पड़ सकती है ज्यादा रकम

डंके की चोट पर 'सिर्फ सच'

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हज उमराह पर जाने के लिए देनी पड़ सकती है ज्यादा रकम

नई दिल्ली। उमरा करने जाने वालों पर सऊदी सरकार ने 2 हजार रियाल यानी 40 हजार रुपये टैक्स लागू कर दिया है। इससे मुंबई के मुस्लिम समाज में नाराजगी देखी जा रही है। मुसलमानों की मक्का-मदीना तक की यात्रा जब ‘जुलहिज्जा’महीने में की जाती है, तो उसे हज माना ज


हज उमराह पर जाने के लिए देनी पड़ सकती है ज्यादा रकमनई दिल्ली। उमरा करने जाने वालों पर सऊदी सरकार ने 2 हजार रियाल यानी 40 हजार रुपये टैक्स लागू कर दिया है। इससे मुंबई के मुस्लिम समाज में नाराजगी देखी जा रही है। मुसलमानों की मक्का-मदीना तक की यात्रा जब ‘जुलहिज्जा’महीने में की जाती है, तो उसे हज माना जाता है। इससे विपरीत उमरा की यात्रा साल में कभी भी तय की जा सकती है।

यूनिवर्सिटी उर्दू विभाग के प्रोफेसर डॉक्टर साहेब अली ने इसे एक तरह की धार्मिक पाबंदी बताया है। उमरा या हज पर जाने की ख्वाहिश रखने वालों पर इस तरह से रोक टोक लगाना बेहद गलत है। जब बाहरी देशों से लोग सऊदी हज-उमरा के लिए जाते हैं, उनके खाने-पीने और रहने से ही सऊदी सरकार कितना फायदा कमा लेती है, इस के बावजूद अतिरिक्त टैक्स लगाना तो बिल्कुल गलत है।

अंजुमन-ए-इस्लाम के ट्रस्टी इकबाल कवारे ने कहा कि अक्सर लोग कड़ी मुश्किलों का सामना करके हज या उमरा के लिए रकम जमा कर पाते हैं। अगर सरकार 2 हजार रियाल यानी उमराह में होने वाले कुल खर्च की आधी रकम टैक्स लगा दे, तो यह सरासर गलत है।

सऊदी कोई गरीब देश तो है नहीं जो सिर्फ हज और उमरा के कारोबार पर निर्भर हो। उसे लोगों को मजहबी अरकान अदा करने पर इस तरह कि रुकावटें नहीं पैदा करनी चाहिए।

इकबाल पेशे से साहित्यकार भी हैं। एमइएस उर्दू हाई स्कूल की शिक्षिका फरीहा नसरीन ने कहा, मुसलमानों के सऊदी देश से बेपनाह लगाव और अकीदत को सरकार ने व्यापार बना रखा है। पहले दोबारा हज करने पर 2 हजार रियाल का टैक्स और अब उतनी ही रकम उमरा पर भी लगा कर सरकार मुसलमानों के धार्मिक जज़्बात से खेल रही है|

वरिष्ठ पत्रकार सरफराज आरजू ने कहा कि ‘हम तो नहीं चाहते कि सऊदी सरकार इस तरह के टैक्स लागू करे। लेकिन हर साल एक बड़ी संख्या में ऐसे लोग होते हैं, जिन्होंने पहले से ही हज-उमरा कर रखा होता है। पर्यटकों के भारी प्रवाह को रोकने और संतुलन बरकरार रखने के लिए सऊदी सरकार इस तरह के टैक्स लागू करती है।’

उन्होंने कहा कि ‘कुछ लोग जिनकी आर्थिक स्थिति अच्छी होती है, वह बार बार उमरा जाते हैं, इससे कई ऐसे लोग, जो पहली दफा जाने वाले होते हैं, वेटिंग लिस्ट में ही फंसे रह जाते हैं।

हम सऊदी सरकार से अपील करते हैं कि ऐसे अधिक टैक्स हटा दिए जाएं, साथ ही हमारी उन लोगों से भी अपील है जो एक से ज्यादा बार हज-उमरा करते हैं कि वह दूसरों को भी आगे आने का मौका दें।’