पूरे गाँव पर केस करने की सामंती मानसिकता से बचे मुंबई पुलिस

डंके की चोट पर 'सिर्फ सच'

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पूरे गाँव पर केस करने की सामंती मानसिकता से बचे मुंबई पुलिस

पूरे गाँव पर केस करने की सामंती मानसिकता से बचे मुंबई पुलिस


रवीश कुमार 
एडिटर्स गिल्ट का यह मैसेज ज़रूरी है। बेशक रिपब्लिक टीवी का पत्रकारिता से कोई लेना देना नहीं है। एंकर झूठ बोलता है। लोगों को उकसाता है। अनाप शनाप बोलता है। लेकिन उससे ख़फ़ा पुलिस पूरे गाँव पर केस पर दे यह सही नहीं है। आप किसी एक का गलती के लिए गाँव को सजा नहीं दे सकते। इससे पुलिस की जाँच ही संदिग्ध हो जाती है और अंत में नतीजा कुछ नहीं निकलता है।

वहाँ काम करने वाले ज़्यादातर नौकरी की मजबूरी में हैं। दिन रात ख़ुद को कोसते रहते हैं। मुमकिन है ऐसे हालात में लोग फँसे महसूस करते हों मगर उन्हें एक एंकर और मालिक की सजा क्यों मिले? उक्त एंकर ने पत्रकारिता को शर्मसार किया है। पत्रकारिता में बेहूदगी को स्थापित किया है। एक दिन पत्रकारिता में बेहूदगी का कोर्स होगा तभी तो लोग इस चैनल में काम करने लायक़ पाए जाएँगे। लेकिन सैंकड़ों प्राथमिकी दर्ज करना ग़लत है।