अट्ठाईस से बत्तीस वर्ष की उम्र में शादी का योग

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अट्ठाईस से बत्तीस वर्ष की उम्र में शादी का योग

अट्ठाईस से बत्तीस वर्ष की उम्र में शादी का योग


मंगल, राहू केतु में से कोई एक यदि सातवें घर में हो तो शादी में काफी देर हो सकती है। जितने अशुभ ग्रह सातवें घर में होंगे शादी में देर उतनी ही अधिक होगी। मंगल सातवें घर में सत्ताईस वर्ष की उम्र से पहले शादी नहीं होने देता। राहू यहाँ होने पर आसानी से विवाह नहीं होने देता। बात पक्की होने के बावजूद रिश्ते टूट जाते हैं केतु सातवें घर में होने पर गुप्त शत्रुओं की वजह से शादी में अडचनें पैदा करता है।

शनि सातवें हो तो जीवन साथी समझदार और विश्वासपात्र होता है। सातवें घर में शनि योगकारक होता है। फिर भी शादी में देर होती है। शनि सातवें हो तो अधिकतर मामलों में शादी तीस वर्ष की उम्र के बाद ही होती है।

बत्तीस से चालीस वर्ष की उम्र में शादी:-

शादी में इतनी देर तब होती है जब एक से अधिक अशुभ ग्रहों का प्रभाव सातवें घर पर हो। शनि मंगल, शनि राहू, मंगल राहू या शनि सूर्य या सूर्य मंगल, सूर्य राहू एक साथ सातवें या आठवें घर में हों तो विवाह में बहुत अधिक देरी होने की संभावना रहती है।

हालांकि ग्रहों की राशि और बलाबल पर भी बहुत कुछ निर्भर करता है। परन्तु कुछ भी हो इन ग्रहों का सातवें घर में होने से शादी जल्दी होने की कोई संभावना नहीं होती,

जन्म कुंडली में नवग्रहों का शुभ और अशुभ प्रभाव:-

नवग्रहों का शुभ और अशुभ प्रभाव जन्म कुंडली में स्थित ग्रहों के अनुरूप होता है। जन्म कुंडली में ग्रह शुभ प्रभाव दें तो जीवन में सकारात्मकता का समावेश होता है और अशुभ प्रभाव दें तो जीवन में नकारात्मकता का समावेश होता है। प्रतिकूल ग्रहों को अनुकूल बनाने के लिए ग्रह सम्बन्धी निम्न वस्तुओं का दान करना चाहिए। जिससे समस्त समस्याओं से मुक्ति मिलेगी। यह दान इतने सरल और सुगम हैं, जिन्हें कोई भी साधारण व्यक्ति
आसानी से कर सकता है।

सूर्य:- तांबा, गेहूं व गुड़।

चंद्र:- चावल, दूध, चांदी या मोती।

मंगल:- मूंगा, मसूर दाल, खांड, सौंफ।

बुध:- हरी घास, साबुत मूंग, पालक।

गुरु:- केसर, हल्दी, सोना, चने की दाल का दाल।

शुक्र:- दही, खीर, ज्वार या सुंगधित वस्तु।

शनि:- साबुत उड़द, लोहा, तेल या तिल।

राहु:- सिक्का, जौ या सरसों।

केतु:- केला, तिल या काला कंबल।

उपाय के लिये विशेष नियम ग्रहों के दुष्प्रभाव शीघ्र दूर करने के लिए 43 दिन तक प्रतिदिन उपाय करने चाहिए। यदि बीच में प्रयोग खंडित हो जाए तो फिर से शुरू करें। ये उपाय दिन के समय करने चाहिए। एक दिन में केवल एक ही उपाय करना चाहिए। जातक के असमर्थ होने पर खून के रिश्ते वाला कोई व्यक्ति उसके नाम से यह उपाय कर सकता है।

ग्रहों से होने वाली परेशानियां:-

प्रत्येक जातक की कुंडली में अशुभ ग्रहों की स्थिति अलग-अलग रहती है। कुंडली में कुल बारह भाव होते हैं सभी भाव के अलग-अलग स्वामी होते हैं। आप खुद ही देख सकते हैं की कौन सा ग्रह खराब है और उसका उपाय कैसे करें। ग्रहों से होने वाली परेशानियां इस प्रकार हैं।

सूर्य:- सरकारी नौकरी या सरकारी कार्यों में परेशानी, सिर दर्द, नेत्र रोग, हृदय रोग, अस्थि रोग, चर्म रोग, पिता से अनबन आदि।

चन्द्रमा:- मानसिक परेशानियां, अनिद्रा, दमा, कफ, सर्दी, जुकाम, मूत्र रोग, स्त्रियों को मासिक धर्म, निमोनिया।

मंगल:- अधिक क्रोध आना, दुर्घटना, रक्त विकार, कुष्ठ रोग, बवासीर, भाइयों से अनबन आदि।

बुध:- गले, नाक और कान के रोग, स्मृति रोग, व्यवसाय में हानि, मामा से अनबन आदि।

गुरु:- धन व्यय, आय में कमी, विवाह में देरी, संतान में देरी, उदर विकार, गठिया, कब्ज, गुरु व देवता में अविश्वास आदि।

शुक्र:- जीवन साथी के सुख में बाधा, प्रेम में असफलता, भौतिक सुखों में कमी व अरुचि, नपुंसकता, मधुमेह, धातु व मूत्र रोग आदि।

शनि:- वायु विकार, लकवा, कैंसर, कुष्ठ रोग, मिर्गी, पैरों में दर्द, नौकरी में परेशानी आदि।

राहु:- त्वचा रोग, कुष्ठ, मस्तिष्क रोग, भूत प्रेत वाधा, दादा से परेशानी आदि।

केतु:- नाना से परेशानी, भूत-प्रेत, जादू टोने से परेशानी, रक्त विकार, चेचक आदि।

किसी भी प्रकार की समस्या समाधान के लिए आचार्य पं. श्रीकान्त पटैरिया (ज्योतिष विशेषज्ञ) जी से सीधे संपर्क करें = 9131366453