ग्रह: दिमाग और ज्योतिष में फलित में सहायक

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ग्रह: दिमाग और ज्योतिष में फलित में सहायक

ग्रह: दिमाग और ज्योतिष में फलित में सहायक


सूर्य। सूर्य तो ऊर्जा का कारक है। आत्मा का कारक है। प्रथम भाव का कारक है। हर चीज को आत्मा से जोड़ेगा ओर बुद्धि को आत्मा से जोड़ेगा। निर्णय गलत हो ही नही सकता। फिर तो ये आपका फलित गजब का कर देगा।

चन्द्र। चन्द्र तो सबकुछ है। एकाग्रता। मन का शून्य हो जाना ही तो ध्यान है। इसको शुभ और बलि बनाना बहुत जरूरी है। मन एकाग्र हुआ तो फलित भी गजब होगा और सीखने में भी सहायक। 3 भाव का चन्द्र कल्पना लोक में ऐसी डुबकी लगायेगा पूछो मत।

मंगल मंगल तो तर्क है। ऊर्जा है। पंचम में तर्कपूर्ण बुद्धि देगा। चीज में लॉजिक खोजोगे। काल पुरुष में 1, 8 भाव का स्वामी मतलब गूढ़ से गूढ़ ज्ञान दिलाएगा ओर ज्योतिष की तह तक लेके जाएगा।

बुध। बुध की तो बात ही मत करो। क्या जबरदस्त ग्रहण क्षमता है इसके अंदर। लग्नेश द्वितीयेश का केंद्र में सम्बन्ध अच्छा ज्योतिषी बनाता है। दिमाग का तंत्रिका तंत्र जो ठहरा। पंचम का स्वग्रही या उच्च का बुध बिना गुरु के ही विकसित करवा देता है। अष्टम का बुध तो परम् राजयोग देता है। रिसर्च। 2 या 3 भाव का बुध भी अच्छा ज्योतिषी बनाता है। वाणी का भी कारक जो ठहरा। एक ज्योतिषी को निरन्तर सीखने की आवशक्तया जो है तो बुद्ध तो ज्योतिष में परम आवश्यक।

गुरु। गुरु तो ज्ञान है। गुरु बिना ज्ञान है ही कहा। गुरु सोचने की शक्ति जो ठहरी। विचार के आगे विचार। प्रबल गुरु सोचने की शक्ति देगा। ज्ञान देगा। अच्छा गुरु प्रदान करेगा ज्ञान ग्रहण करने के लिए। 6, 8, 10 भाव का गुरु वाक सिद्धि दे देगा। जो फलित करोगे, जो उपाय बताओगे घटित हो जाएंगे।

शुक्र। शुक्र तो ज्योतिष का मुख्य कारक है। बिना शुक्र के ज्योतिष कैसा। कहा जाता है कि शुक्र प्रभावी जातक कुछ भी कर सकते है। फेम भी दिलाता है। मतलब ये बलि हुआ तो ज्योतिष में ख्याति सम्पूर्ण मृत्यु लोक में मिलेगी। मृत संजीवनी विद्या का ज्ञाता। ज्योतिष भी तो अलग तरह की विद्या है। हर पहलू पे सोचना पड़ता है तो शुक्र के बिना ज्योतिष कैसी। 2 ओर 3 भाव का शुक्र भी अच्छा ज्योतिषी बनाता है। मतलब शुक्र के बिना ज्योतिष हो ही नही सकती।

शनि। शनि तो निर्णय करने की क्षमता देता है। इसीलिए तो तुला में उच्च का होता है। जज बनाता है। कोई जल्दी नही। शनि तो ज्योतिष में मुख्य भूमिका देगा।

राहु। राहु तो साहू है। कहते है दसम का राहु है तो आंख बंद करके फलित करो तो भी सही निकलेगा। राहु बुध से भी 10 कदम आगे है। अब जो जो गुण बुध के है उनमें राहु को भी लेलो ओर स्पीड को 10 से गुना कर दो। विशालता राहु ही है तो विशाल ज्योतिष ज्ञान के लिए राहु पीछे क्यों फिर।

केतु। केतु तो सुमडी में कुमड़ी है। इतने सूक्ष्म स्तर तक लेके जाता है पूछो मत। नाड़ी तो केतु से ही ज्योतिषी बनाती है। और ज्योतिष में सूक्ष्मता में जाये बिना कैसे फलित। ज्ञान कैसे मिलेगा।

तो इसलिए हर एक ग्रहः ज्योतिष में सहायता करता है। हर किसी के अपने गुण है। कोई कम नही है।

किसी भी प्रकार की समस्या समाधान के लिए आचार्य पं. श्रीकान्त पटैरिया (ज्योतिष विशेषज्ञ) जी से सीधे संपर्क करें = 9131366453