Vastu Tips : घर में मंदिर बनवाते समय इन वास्तु दोषों से बचें, नहीं तो बढ़ेगा तनाव
Vastu Tips : घर में मंदिर का वास्तु सही होने से सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है। जानिए मंदिर की दिशा,Placement और अन्य जरूरी नियम, जिससे घर में सुख-समृद्धि बनी रहे।

Vastu Tips : हर घर में मंदिर का एक खास स्थान होता है। यह वह जगह है जहां हम सुकून पाते हैं, भगवान से जुड़ते हैं और अपने दिन की शुरुआत सकारात्मकता के साथ करते हैं।
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि घर के मंदिर का वास्तु सही न होने पर इसका असर हमारी जिंदगी पर भी पड़ सकता है? जी हां, वास्तु शास्त्र के हिसाब से मंदिर की दिशा, उसकी सजावट और रखरखाव का सीधा संबंध हमारे जीवन की शांति और समृद्धि से होता है।
तो आइए, आज हम बात करते हैं कि घर के मंदिर का वास्तु कैसा होना चाहिए और इसे सही रखने के लिए किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है।
मंदिर की सही दिशा चुनें
वास्तु शास्त्र में मंदिर के लिए सबसे अच्छी दिशा ईशान कोण यानी उत्तर-पूर्व मानी जाती है। यह दिशा सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है और भगवान की मौजूदगी के लिए सबसे शुभ मानी जाती है।
अगर आपके घर में इस दिशा में जगह नहीं है, तो आप पूर्व दिशा को भी चुन सकते हैं। लेकिन ध्यान रहे कि मंदिर को कभी भी दक्षिण-पश्चिम दिशा में न रखें, क्योंकि यह नकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा दे सकता है।
मंदिर को ऐसी जगह रखें जहां सुबह की पहली किरणें उस तक पहुंच सकें, इससे घर में पॉजिटिविटी बनी रहती है।
मंदिर की ऊंचाई और जगह का ध्यान
घर का मंदिर जमीन से थोड़ा ऊंचा होना चाहिए। इसे सीधे फर्श पर रखने से बचें, बल्कि एक छोटा चबूतरा या लकड़ी का स्टैंड इस्तेमाल करें। इसके अलावा, मंदिर को बेडरूम या टॉयलेट के पास बिल्कुल न बनाएं।
वास्तु के अनुसार, ऐसी जगहों पर मंदिर रखना अशुभ माना जाता है। कोशिश करें कि मंदिर के आसपास साफ-सफाई बनी रहे और वहां ज्यादा शोर-शराबा न हो। यह जगह शांत और पवित्र होनी चाहिए ताकि पूजा के दौरान मन एकाग्र रहे।
मूर्तियों की सही व्यवस्था
मंदिर में मूर्तियों को रखते वक्त भी कुछ बातों का ख्याल रखना जरूरी है। सबसे पहले, मूर्तियों का आकार ज्यादा बड़ा नहीं होना चाहिए। छोटी और सुंदर मूर्तियां न सिर्फ देखने में अच्छी लगती हैं, बल्कि वास्तु के हिसाब से भी सही मानी जाती हैं।
मूर्तियों को इस तरह रखें कि उनका मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर हो। साथ ही, एक ही भगवान की दो मूर्तियां मंदिर में न रखें, इससे ऊर्जा में टकराव हो सकता है।
रंग और सजावट का महत्व
मंदिर को सजाने के लिए हल्के और शांत रंगों का इस्तेमाल करें, जैसे सफेद, हल्का पीला या गुलाबी। चटक और गहरे रंगों से बचें, क्योंकि ये मन को भटका सकते हैं। मंदिर में ताजे फूल, धूप और दीपक का प्रयोग करें।
प्लास्टिक की चीजों का इस्तेमाल कम से कम करें, क्योंकि प्राकृतिक चीजें सकारात्मकता को बढ़ाती हैं। मंदिर को हमेशा साफ रखें और मुरझाए फूलों को तुरंत हटा दें।
इन छोटी बातों का भी रखें ध्यान
मंदिर में घंटी जरूर रखें, लेकिन इसे बार-बार न बजाएं। वास्तु के अनुसार, जरूरत से ज्यादा घंटी बजाने से नकारात्मक ऊर्जा पैदा हो सकती है।
साथ ही, मंदिर के ऊपर कोई भारी सामान न रखें और न ही इसके पीछे झाड़ू या कूड़ेदान जैसी चीजें रखें। पूजा के बाद मंदिर को ढकने की आदत डालें, इससे उसकी पवित्रता बनी रहती है।