8th Pay Commission : 8वें वेतन आयोग से होगी मोटी सैलरी, जानिए कितने लाखों में पहुंचेगी आपकी तनख्वाह!
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केंद्र सरकार ने 8वें वेतन आयोग के गठन की घोषणा कर दी है, जिससे लाखों सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों में खुशी की लहर दौड़ गई है। यह आयोग 2026 से लागू होने वाला है और इससे कर्मचारियों की सैलरी में भारी बढ़ोतरी होने की उम्मीद है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में इस आयोग के गठन को मंजूरी दी गई है।
सैलरी में कितनी होगी बढ़ोतरी?
विशेषज्ञों का अनुमान है कि 8वें वेतन आयोग के लागू होने के बाद सरकारी कर्मचारियों की बेसिक सैलरी में 185% तक की बढ़ोतरी हो सकती है। वर्तमान में जहां न्यूनतम बेसिक सैलरी 19,900 रुपये है, वहीं नए आयोग के बाद यह बढ़कर 56,914 रुपये तक पहुंच सकती है। हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि वास्तविक बढ़ोतरी 10% से 30% के बीच ही होगी।
फिटमेंट फैक्टर का महत्व
8वें वेतन आयोग में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका फिटमेंट फैक्टर की होगी। यह वह गुणक है जिससे मौजूदा सैलरी को गुणा करके नई सैलरी निर्धारित की जाएगी। विशेषज्ञों का अनुमान है कि नया फिटमेंट फैक्टर 1.92 से 2.08 के बीच हो सकता है। यदि यह 2.08 होता है, तो न्यूनतम बेसिक सैलरी 37,440 रुपये हो जाएगी।
पेंशनरों के लिए क्या है खास?
8वां वेतन आयोग सिर्फ मौजूदा कर्मचारियों के लिए ही नहीं, बल्कि पेंशनरों के लिए भी फायदेमंद साबित होगा। अनुमान है कि न्यूनतम पेंशन 18,720 रुपये तक बढ़ सकती है। इससे लगभग 65 लाख पेंशनरों को लाभ मिलेगा।
कब से मिलेगी बढ़ी हुई सैलरी?
8वां वेतन आयोग 1 जनवरी, 2026 से लागू होने की उम्मीद है। इसका मतलब है कि कर्मचारियों को नई बढ़ी हुई सैलरी 2026 की शुरुआत से ही मिलने लगेगी। हालांकि, आयोग की सिफारिशें 2025 के अंत तक आने की संभावना है।
क्या होंगे अन्य लाभ?
सैलरी बढ़ोतरी के अलावा, 8वें वेतन आयोग में कई अन्य लाभों की भी उम्मीद है। इनमें महंगाई भत्ते (DA) में वृद्धि, ट्रैवल अलाउंस में बढ़ोतरी, और परफॉर्मेंस-लिंक्ड पे स्ट्रक्चर शामिल हो सकते हैं। इसके अलावा, कर्मचारियों के लिए नए प्रमोशन नियम भी बनाए जा सकते हैं।
सरकार पर कितना पड़ेगा बोझ?
8वें वेतन आयोग के लागू होने से सरकारी खजाने पर भारी बोझ पड़ने की संभावना है। अनुमान है कि इससे सरकार को सालाना 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक का अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ सकता है। हालांकि, सरकार का मानना है कि इससे कर्मचारियों की कार्यक्षमता बढ़ेगी और अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी।