Union Budget 2023 : वित्त मंत्री ने अंग्रेज़ों के ज़माने से चली आ रही परम्परा को तोडा, 2023 के बजट में कर दिए ये बड़े बदलाव

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Union Budget 2023 : वित्त मंत्री ने अंग्रेज़ों के ज़माने से चली आ रही परम्परा को तोडा, 2023 के बजट में कर दिए ये बड़े बदलाव

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व‍ित्‍त मंत्री न‍िर्मला सीतारमण दो हफ्ते से भी कम में अगले व‍ित्‍तीय वर्ष का बजट पेश करेंगी. अंग्रेजों के जमाने से ही बजट का इतिहास काफी दिलचस्प है. भारत में बजट पेश करने की परंपरा 1860 में शुरू हुई थी. तब से अब तक बजट में बदलव हुए। आज हम आपको उनके बारे में बताने जा रहे हैं-

15 अगस्त 1947 को आजादी के बाद पहली बार बजट 26 नवंबर 1947 को तत्कालीन वित्त मंत्री आरके षणमुखाम शेट्टी ने पेश किया था. आजाद भारत के पहले बजट में टैक्स का प्रावधान नहीं था.

इस बजट में 15 अगस्त 1947 से 31 मार्च 1948 तक की अवध‍ि को ही कवर किया गया था.देश में पहले बजट को अंग्रेजी भाषा में प्रकाश‍ित क‍िया जाता था. लेकिन बाद में देश के तीसरे वित्त मंत्री सी डी देशमुख ने 1951 में बजट के सभी दस्‍तावेज हिंदी में छपवाए.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से पहले एक और महिला नेत्री संसद में बजट पेश कर चुकी हैं. संसद में बजट पेश करने वाली पहली महिला इंदिरा गांधी थीं. 1969 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सरकार के उपप्रधानमंत्री और वित्त मंत्री मोरारजी देसाई से वित्त मंत्रालय का प्रभार वापस ले लिया था.

मोरार जी देसाई सबसे ज्यादा बार बजट पेश करने वाले व‍ित्‍त मंत्री हैं. उन्होंने कुल 10 बार केंद्रीय बजट पेश किया है. उन्‍होंने 1964 और 1968 को 29 फरवरी को भी दो बार अपने जन्मदिन के मौके पर बजट पेश किया था.

पहले बजट फरवरी की आखिरी तारीख को पेश किया जाता था.पहले वित्तमंत्री बजट पेश करने के लिए लाल ब्रीफकेस लेकर आते थे. लेकिन 2019 में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने इसे भारतीय लुक द‍िया और इसे लेकर सदन पहुंचीं. इसे खाता बही नाम दिया गया.

मनमोहन सिंह के 1991 में दिए गए बजट भाषण में कुल 18,650 शब्द थे. उसके बाद दूसरा नंबर अरुण जेटली का है, उनके साल 2018 के बजट भाषण में 18,604 शब्द थे.

1977 में तत्कालीन वित्त मंत्री हीरुभाई मुलजीभाई पटेल ने महज 800 शब्दों वाला बजट भाषण दिया था. यह आज तक का सबसे छोटा बजट भाषण बताया जाता है.

साल 1999 तक बजट भाषण फरवरी के लास्‍ट वर्क‍िंग डे को शाम 5 बजे से पेश किया जाता था. लेकिन यशवंत सिन्हा ने 1999 में इसका टाइम बदलकर सुबह 11 बजे कर दिया.

वर्ष 2017 तक रेल बजट और आम बजट को अलग-अलग पेश किया जाता था. लेकिन 2017 में रेल बजट को आम बजट में ही समाहित कर दिया गया. उसके बाद से एक ही बजट पेश किया जाता है.

1950 तक बजट का मुद्रण राष्ट्रपति भवन में होता था. लेकिन इसके लीक होने के बाद मुद्रण नई दिल्ली के मिंटो रोड स्थित प्रेस में होने लगा. 1980 में वित्त मंत्रालय के अंदर ही सरकारी प्रेस में इसका मुद्रण होता है.