SUVs का दबदबा अब खत्म? मारुति की अपील पर सरकार बड़ा कदम उठाने को तैयार!

भारत में छोटी कारों की मांग पिछले कुछ वर्षों में तेजी से घटी है, जिसने ऑटोमोबाइल उद्योग को नए सिरे से सोचने पर मजबूर कर दिया है। एक समय था जब मारुति सुजुकी की ऑल्टो और वैगनआर जैसी हैचबैक कारें शहर की सड़कों पर राज करती थीं, लेकिन अब SUVs की बढ़ती लोकप्रियता ने इन छोटी कारों का आकर्षण कम कर दिया है। हाल ही में खबरें आई हैं कि सरकार ईंधन दक्षता नियमों (CAFE) में ढील देने पर विचार कर रही है, खासकर मारुति सुजुकी जैसे निर्माताओं की मांग के बाद। अगर यह बदलाव लागू होता है, तो यह छोटी कारों के बाजार को फिर से जीवंत कर सकता है। आइए, इस बदलते परिदृश्य को करीब से समझते हैं।
मारुति सुजुकी की बिक्री में गिरावट
मारुति सुजुकी भारत की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी है, और इसकी छोटी कारें, जैसे ऑल्टो, वैगनआर और स्विफ्ट, लंबे समय तक बाजार में छाई रहीं। पहले, इन मॉडलों की बिक्री कंपनी की कुल बिक्री का लगभग दो-तिहाई हिस्सा थी, लेकिन 2023-24 में यह आंकड़ा 50% से नीचे चला गया। पिछले वित्तीय वर्ष में मारुति ने लगभग 17 लाख वाहन बेचे, लेकिन छोटी कारों की हिस्सेदारी लगातार कम हो रही है। इसका कारण है कि भारतीय उपभोक्ता अब स्टाइलिश और शक्तिशाली SUVs की ओर आकर्षित हो रहे हैं, जो छोटी कारों की मांग को प्रभावित कर रहा है।
ईंधन दक्षता नियमों में बदलाव की संभावना
हाल ही में सरकार ने छोटी कारों के लिए सख्त ईंधन दक्षता नियम लागू करने की योजना बनाई थी, लेकिन अब उद्योग की मांग के बाद इन नियमों में ढील देने की बात चल रही है। मारुति सुजुकी ने तर्क दिया है कि सख्त नियम छोटी कारों की कीमत बढ़ा सकते हैं, जिससे उनकी बिक्री और कम हो सकती है। कॉर्पोरेट एवरेज फ्यूल एफिशिएंसी (CAFE) नियमों के तहत, 3,500 किलोग्राम से कम वजन वाली कारों को कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन की सीमा का पालन करना होता है। अब 1,000 किलोग्राम से कम वजन वाली कारों के लिए इन लक्ष्यों को आसान करने की चर्चा है, जिससे ऑल्टो और वैगनआर जैसे मॉडल बाजार में प्रतिस्पर्धी बने रह सकते हैं।
मारुति को सबसे ज्यादा फायदा
मारुति सुजुकी के पास 17 में से 10 मॉडल 1,000 किलोग्राम से कम वजन के हैं, इसलिए नियमों में ढील से उसे सबसे अधिक लाभ होगा। हालांकि, हुंडई, जेएसडब्ल्यू एमजी मोटर, रेनॉल्ट और टोयोटा जैसे अन्य निर्माताओं को भी इसका फायदा मिल सकता है, क्योंकि उनके पास भी कुछ हल्की कारें हैं। फिर भी, मारुति की बाजार हिस्सेदारी और मॉडल की संख्या को देखते हुए, यह बदलाव उनके लिए गेम-चेंजर साबित हो सकता है।
भविष्य का परिदृश्य
पहले सरकार और ऑटोमोबाइल कंपनियों के बीच चर्चा में कारों के आकार या वजन के आधार पर अलग-अलग नियमों का कोई जिक्र नहीं था। अगर अब CAFE नियमों में ढील दी जाती है, तो इसे मारुति के पक्ष में नीति के रूप में देखा जा सकता है। आने वाले महीनों में सरकार और ऑटो कंपनियों के बीच होने वाली बातचीत छोटी कारों के बाजार को नया आकार दे सकती है। यह बदलाव न केवल उपभोक्ताओं के लिए किफायती विकल्प ला सकता है, बल्कि ऑटोमोबाइल उद्योग के लिए भी एक नई दिशा तय कर सकता है।