अब हर भारतीय चला सकेगा इलेक्ट्रिक कार, सरकार ने किया बड़ा ऐलान

भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) की दुनिया में एक क्रांतिकारी बदलाव की शुरुआत हो चुकी है! भारत सरकार ने हाल ही में अपनी महत्वाकांक्षी योजना, स्कीम फॉर प्रमोशन ऑफ मैन्युफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिक पैसेंजर कार्स इन इंडिया (SPMPCI) को अंतिम रूप दिया है, जो न केवल भारत को वैश्विक इलेक्ट्रिक कार निर्माण का केंद्र बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है, बल्कि आत्मनिर्भर भारत के सपने को भी मजबूती देता है। यह योजना नई तकनीक, रोजगार सृजन और स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देने का एक शानदार अवसर लेकर आई है। आइए, इस नीति के विभिन्न पहलुओं को समझते हैं और जानते हैं कि यह भारत के ऑटोमोबाइल उद्योग को कैसे नया आकार देगी।
आयात शुल्क में राहत: निवेश का नया द्वार
SPMPCI योजना के तहत, इलेक्ट्रिक कार निर्माताओं को भारत में उत्पादन शुरू करने के लिए प्रोत्साहन के रूप में आयात शुल्क में भारी छूट दी जा रही है। जहां सामान्य रूप से इलेक्ट्रिक कारों पर 110% आयात शुल्क लगता है, वहीं इस योजना के तहत पात्र कंपनियों को केवल 15% शुल्क देना होगा। लेकिन इसके लिए एक महत्वपूर्ण शर्त है—निर्माताओं को भारत में कम से कम 4,150 करोड़ रुपये (लगभग 500 मिलियन अमेरिकी डॉलर) का निवेश करना होगा। यह निवेश तीन साल के भीतर पूरा करना अनिवार्य है, और पहले किए गए किसी भी निवेश को इसमें शामिल नहीं किया जाएगा। यह सुनिश्चित करता है कि भारत की अर्थव्यवस्था में नई पूंजी का प्रवाह हो, जो स्थानीय उद्योगों और आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करेगा।
स्थानीयकरण और टर्नओवर: आत्मनिर्भरता की ओर कदम
इस योजना में इलेक्ट्रिक कार निर्माताओं के लिए सख्त टर्नओवर और स्थानीयकरण लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं। दूसरे वर्ष तक कंपनियों को 2,500 करोड़ रुपये का वार्षिक टर्नओवर हासिल करना होगा, जो चौथे वर्ष में 5,000 करोड़ और पांचवें वर्ष में 7,500 करोड़ रुपये तक पहुंचना चाहिए। इसके साथ ही, स्थानीय मूल्य संवर्धन (लोकल वैल्यू एडिशन) पर विशेष ध्यान दिया गया है। तीसरे वर्ष तक निर्माताओं को 25% स्थानीयकरण हासिल करना होगा, जो पांचवें वर्ष तक 50% तक बढ़ जाना चाहिए। यह कदम न केवल भारत में स्थानीय आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करेगा, बल्कि हजारों नए रोजगार के अवसर भी पैदा करेगा, जिससे अर्थव्यवस्था को और गति मिलेगी।
स्थानीय निर्माताओं का संरक्षण
भारत में पहले से मौजूद ईवी निर्माताओं के हितों की रक्षा के लिए यह योजना बेहद संतुलित है। 15% आयात शुल्क की छूट केवल 30 लाख रुपये से अधिक कीमत वाली प्रीमियम इलेक्ट्रिक कारों पर लागू होगी। इससे किफायती ईवी मॉडल जैसे महिंद्रा XEV 9e, टाटा नेक्सन EV, पंच EV, हुंडई क्रेटा इलेक्ट्रिक, और आगामी मारुति ई-विटारा जैसी कारें आयातित सस्ती कारों की प्रतिस्पर्धा से सुरक्षित रहेंगी। यह कदम डंपिंग जैसे अनुचित व्यापार प्रथाओं को रोकने में भी मदद करेगा, जिससे स्थानीय निर्माताओं को बढ़ावा मिलेगा और भारतीय बाजार में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा बनी रहेगी।
आयात कोटा और अन्य नियम
SPMPCI योजना के तहत, कम आयात शुल्क का लाभ प्रति वर्ष केवल 8,000 यूनिट्स तक सीमित है। इस सीमा से अधिक यूनिट्स पर सामान्य 110% आयात शुल्क लागू होगा। साथ ही, कुल आयात शुल्क बचत 6,484 करोड़ रुपये या निवेश की गई राशि से अधिक नहीं हो सकती। अगर किसी वर्ष में कोटा अप्रयुक्त रहता है, तो उसे अगले वर्ष के लिए स्थानांतरित किया जा सकता है। निवेश में अनुसंधान और विकास, मशीनरी, और विनिर्माण उपकरण जैसे खर्च शामिल किए जा सकते हैं, जबकि चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर पर 5% तक की राशि को निवेश में गिना जाएगा। यह लचीलापन निर्माताओं को भारत में दीर्घकालिक निवेश के लिए प्रोत्साहित करेगा।
भारत के लिए एक नई शुरुआत
SPMPCI योजना भारत के इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग के लिए एक गेम-चेंजर साबित हो सकती है। यह न केवल वैश्विक निर्माताओं को भारत में उत्पादन शुरू करने के लिए आकर्षित करेगी, बल्कि स्थानीय आपूर्ति श्रृंखला, रोजगार सृजन और तकनीकी नवाचार को भी बढ़ावा देगी। यह योजना भारत को वैश्विक ईवी मैन्युफैक्चरिंग का एक प्रमुख केंद्र बनाने की दिशा में एक ठोस कदम है, जो आत्मनिर्भर भारत के विजन को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।