मछली पालकों की बंपर कमाई! 4 लाख रुपये तक का सरकारी अनुदान, जानिए कैसे लें लाभ

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मछली पालकों की बंपर कमाई! 4 लाख रुपये तक का सरकारी अनुदान, जानिए कैसे लें लाभ

PM Matsya Sampada Yojna


PM Matsya Sampada Yojna: खेती-किसानी का ट्रेंड काफी बदल रहा है। ऐसे में बिहार के किसान काफी बड़े पैमाने पर मछली पालन करने लगे हैं। सरकार भी मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए काफी सारी स्कीम्स को संचालित कर रही है। किसान भी इसका लाभ उठा रहे हैं।

मछली पालन के लिए किसानों को अनुदान की रकम भी पेश कराई जा रही है। जिससे कि अपने बिजनेस को विस्तार देकर ज्यादा लाभ कमा सकें। बिहार में मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार की मत्स्य संपदा के तहत संचालित उन्नत इनपुट योजना किसानों के लिए वरदान बन रही है।

बिहार के कटिहार के किसान इस स्कीम का लाभ लेकर लाभ भी कमा रहे हैं। इस स्कीम का लाभ लेकर 58 किसान मछली पालन के द्वारा अच्छी खासी इनकम कर रहे हैं। किसानों को मछली पालन में इस्तेमाल होने वाली सामाग्री पर अनुदान दिया जाता है। इसमें चार लाख तक अनुदान देने का प्रावधान है।

उन्नत इनपुट स्कीम के तहत मिला लक्ष्य

मत्स्य पदाधिकारी अनिल कुमार ने जानकारी दी की मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए उन्नत इनपुट स्कीम के फाइनेंशियस ईयर में 58 किसानों को लाभान्वित किया है। इसमें सबसे ज्यादा सदर प्रखंड और कोढ़ा के मछली पालकहैं। प्रति हेक्टेयर इकाई लागत के रूप में 4 लाख रुपये अलग-अलग वर्गों का अनुदान के तौर पर पेश कराया गया है।

उनको ये बताया कि उन्नत इनपुट स्कीम के तहत जिले को 22 हेक्टेयर का लक्ष्य मिला था। जिसमें साधारण को 15 हेक्टेयर, ईबीसी की तीन, एससी, को तीन एवं एसटी को एक हेक्टेयर का लक्ष्य शामिल था। किसानों को फिंगर साइज मछली को पालने के लिए दाना व दवा के रूप में दिया गया है।

4 लाख तक मछली पालकों को अनुदान का प्रवधान

मत्स्य पदाधिकारी अनिल कुमार ने कहा कि मछली पालकों को फिंगर साइज को दाना, दवा, चोकर आदि खिलाने के लिए अनुदान के रूप मे एससी, एसटी को 70 फीसदी एवं समान्य को 50 फीसदी अनुदान देने का प्रावधान है। इसके लिए ऐसे मत्स्य पालकों से ऑनलाइन दस्तावेजों की मांग की जाती है।

इसमें एलपीसी रसीद, नक्शा, सहमति, बैंक पासबुक के साथ में आधार की मांग की जाती है। इस स्कीम के तहत मछली पालकों को प्रति हेक्टेयर 300 किलो फिंगर साइज मछली डालने के लिए लागत के रूप में 4 लाख तक लागत है। लाभुकों को अनुदान का लाभ दो किश्तों में दिए जाने का प्रावधान है।