ईपीएफओ ने पीएफ कर्मचारियों को दी ये 10 बड़ी सौगातें, खुशी से झूम उठे कर्मचारी

ईपीएफओ पेंशन और इंश्योरेंस कंट्रीब्यूशन डिपॉजिट करने में चूक करने या देरी करने वाले एम्प्लॉयर्स पर पेनल चार्ज को कम करने का फैसला लिया गया है।
आपके घर-परिवार में प्राइवेट जॉब करते हुए अगर आपका पीएफ कट रहा है तो फिर यह काम आपके लिए किसी वरदान की तरह साबित होने वाली है। पीएफ कर्मचारियों के लिए ईपीएफओ की तरफ से आए दिन नियमों में बदलाव होता रहता है।
अब ईपीएफओ की तरफ से एक बड़ा नियम बदला गया है, जिसका फायदा बड़े स्तर पर लोगों को मिलेगा। ईपीएफओ पेंशन और इंश्योरेंस कंट्रीब्यूशन डिपॉजिट करने में चूक करने या देरी करने वाले एम्प्लॉयर्स पर पेनल चार्ज को कम करने का फैसला लिया गया है।
पहले कर्मचारियों पर यह जुर्माना सबसे अधिक 25 प्रतिशत था, जिसे अब कम करके प्रति साल 12 फीसदी कर दिया गया है। इसके साथ ही 1 प्रतिशत या 12 फीसदी प्रतिवर्ष कर दिया गया है। ईपीएफओ की तरफ से यह कर्मचारी के लिए किसी बड़ी राहत की तरह है।
ईपीएफओ ने नोटिफिकेशन किया जारी
श्रम मंत्रालय के मुताबिक, शनिवार को जारी अधिसूचना में जारी कर बड़ी जानकारी दी है। नोटिफिकेशन में कहा गया है कि एम्प्लॉयर से जुर्माना तीन स्कीम्स ईपीएस और ईपीएफओ के तहत एम्प्लॉइज डिपॉजिट लिंक्ड इंश्योरेंस स्कीम में प्रति महिने कंट्रीब्यूशन के बकाया का 1 प्रतिशत या प्रति साल 12 फीसदी की दर से वसूला जाएगा।
पीएफ कर्मचारियों को बड़ा आर्थिक फायदा होगा, जो किसी बड़े तोहफे की तरह होगा। वहीं, दो महीने तक की चूक पर 5 प्रतिशत वर्ष, दो से ज्यादा चार महीने से कम 10 प्रतिशत जुर्माना था।
इसके साथ ही 4 महीने से ज्यादा और 6 महीने से कम पर 15 फीसदी का जुर्माना लगाया गया था। इसके अलावा 6 महीने और उससे ज्यादा की चूक पर 25 फीसदी तक का जुर्माना प्रति साल लगाने का काम किया जाता था।
फटाफट जानें नियोक्ता का क्या होगा
नए नियमों के अनुसार, अब कर्मचारी को कम जुर्माना देने की जरूरत होगी। इसके साथ ही 2 महीने या 4 महीने की चूक पर जुर्माने की रकम हर महीना 1 प्रतिशत के हिसाब से देनी होगी। नियोक्ता के लिए जुर्माने की राशि के करीब दोगुनी से ज्यादा गिरावट देखने को मिल सकती है।
नियमों के मुताबिक, वर्तमान में नियोक्ता के लिए हर महीने की 15 तारीख को या उससे पहले पिछले माह का रिटर्न EPFO के पास दाखिल करने की जरूरत होगी।
अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो इसके बाद किसी भी प्रकार की देरी को डिफॉल्ट माना जाता है।