Gold limit in India: घर में सोना रखने के नियम, इतने तोले से है ज्यादा तो होगी कार्रवाई

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Gold limit in India: घर में सोना रखने के नियम, इतने तोले से है ज्यादा तो होगी कार्रवाई

Gold limit


भारत में सोना खरीदना शुभ माना जाता है। एक सुरक्षित निवेश ऑप्शन के रूप में सोने को सिक्के, बार, गहने या कागज के रूप में या गोल्ड एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (गोल्ड ईटीएफ), भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (एसजीबी) और गोल्ड म्यूचुअल फंड (गोल्ड एमएफ) के माध्यम से खरीदकर रख सकते हैं।

लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में कोई भी व्यक्ति अधिकतम कितना सोना रख सकता है? घर में कितनी लिमिट तक सोना रखा जा सकता है?

भारत में साल 1968 में गोल्ड कंट्रोल एक्ट की स्थापना हुई। इस कानून के चलते नागरिकों के एक निश्चित मात्रा से ज्यादा सोना रखने पर रोक लगा दी गयी है। हालांकि इस एक्ट को 1990 में खत्म कर दिया गया।

वर्तमान में भारत में सोने की मात्रा पर कोई प्रतिबंध नहीं है लेकिन रखने वाले के पास उसके वैलिड सोर्स और सोने से जुड़े दस्तावेज होना जरूरी है। किसी इनकम टैक्स रेड के दौरान संपत्ति जब्त करते समय आयकर अधिकारियों के लिए दिशा-निर्देश बनाए गए हैं। इन निर्देशों के अनुसार व्यक्ति के लिंग और वैवाहिक स्थिति के आधार पर एक निश्चित सीमा तक गहने या आभूषण जब्त नहीं किए जा सकते हैं।

विवाहित महिला 500 ग्राम सोना रख सकती: इसके मुताबिक, एक विवाहित महिला अपने पास 500 ग्राम सोना आसानी से रख सकती है, जबकि अविवाहित महिला के पास 250 ग्राम तक सोना होने पर कोई परेशानी नहीं है।

इसके अलावा विवाहित पुरुष के पास 100 ग्राम सोना रह सकता है। ऐसे में किसी के पास अगर इस सीमा तक सोना है तो उन्हें कोई इनकम प्रूफ देने की जरूरत नहीं है। इससे ज्यादा होने पर इनकम सोर्स मांगा जा सकता है।

सोने पर टैक्स के नियम: सोने के निवेश पर टैक्स का निर्धारण उसे रखने की अवधि पर निर्भर करता है। अगर सोना तीन साल से ज्यादा समय के लिए रखा जाता है, तो यह लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) के रूप में 20 प्रतिशत के रूप में कर योग्य है और शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन निवेशक पर लागू सामान्य टैक्स स्लैब पर कर योग्य है। गोल्ड ईटीएफ/गोल्ड एमएफ भी फिजिकल सोने की तरह कर योग्य हैं।

वहीं बॉन्ड के मामले में अगर वे मैच्योर होने तक रखे जाते हैं, तो वे कर-मुक्त होते हैं। हालांकि, फिजिकल गोल्ड या ईटीएफ या गोल्ड एमएफ के लेनदेन पर पूंजीगत लाभ देय हैं। बॉन्ड्स के एक्सचेंजों पर डीमैट के रूप में कारोबार किया जाता है। इन्हें पांच वर्ष के बाद भुनाया जा सकता है। वहीं, अगर बॉन्ड मैच्योर होने से पहले बेचा जाता है तो वह 20 प्रतिशत पर कर योग्य होता है।

सोना रखने के लिए कौन से कागजात जरूरी: घर में तय मात्रा से ज्यादा सोना होने पर उससे जुड़े कागजात होना जरूरी है। इनकम टैक्स 1961 के सेक्शन-132 के मुताबिक अगर तय मानक से ज्यादा सोना मिलता है तो अधिकारी उससे जुड़े कागजात चेक कर सकते हैं।

ऐसे में सोना कहां से खरीदा, उसका असली बिल और जरूरी कागजात होने जरूरी हैं। ज्यादा होने पर इनकम सोर्स भी बताना पड़ सकता है। अगर परिवार से सोना मिला है तो फैमली सेटलमेंट से जुड़े कागजात दिखाना जरूरी। अगर गिफ्ट में सोना मिला है तो उससे जुड़ी गिफ्ट डीड रखना बेहद जरूरी है।