इजरायल-ईरान सीजफायर के बाद सोना हुआ सस्ता, जानिए कितने हजार रुपये गिरा रेट

आज सुबह जब देश-दुनिया की नजरें मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर थीं, तब सोने की कीमतों में अचानक तेज गिरावट ने सभी को चौंका दिया। 24 जून 2025 को इजरायल और ईरान के बीच हुए ऐतिहासिक सीजफायर के बाद सोने के दाम में 1000 रुपये प्रति 10 ग्राम से अधिक की कमी देखी गई। यह खबर उन निवेशकों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है जो सोने को अपने पोर्टफोलियो का हिस्सा बनाना चाहते हैं। आइए, इस गिरावट के पीछे की वजहों और इसके प्रभाव को गहराई से समझते हैं।
शांति समझौते का बाजार पर प्रभाव
इजरायल और ईरान के बीच लंबे समय से चला आ रहा तनाव आखिरकार एक शांति समझौते के साथ थम गया। इस समझौते की पुष्टि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने की, जिसके बाद वैश्विक बाजारों में सकारात्मक माहौल बना। इस शांति ने बाजार में जोखिम की भावना को कम किया, जिसका सीधा असर सोने की कीमतों पर पड़ा। सोना, जिसे हमेशा ‘सुरक्षित निवेश’ का दर्जा मिला है, अब निवेशकों की पहली पसंद नहीं रहा। नतीजतन, MCX पर सुबह 9:17 बजे 24 कैरेट सोने का भाव 98,807 रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुंच गया, जो 1190 रुपये की गिरावट को दर्शाता है।
वैश्विक बाजार में सोने की मांग में कमी
वैश्विक स्तर पर भी सोने की कीमतों में कमी देखी गई है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोना $3,350 प्रति औंस से नीचे आ गया, जो हाल के महीनों में एक उल्लेखनीय गिरावट है। कमोडिटी विशेषज्ञों का कहना है कि इस गिरावट का एक और कारण अमेरिकी फेडरल रिजर्व की नरम नीतियां हैं। फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों को स्थिर रखने का फैसला किया, जिससे सोने की मांग में और कमी आई। जब वैश्विक अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता कम होती है, तो निवेशक सोने की बजाय अन्य जोखिम भरे निवेश विकल्पों की ओर रुख करते हैं।
निवेशकों के लिए क्या है इसका मतलब?
सोने की कीमतों में इस गिरावट को कुछ निवेशक एक सुनहरा अवसर मान रहे हैं। अगर आप लंबी अवधि के लिए निवेश की योजना बना रहे हैं, तो यह समय आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। हालांकि, विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि निवेश से पहले बाजार के रुझानों और वैश्विक आर्थिक स्थिति का गहन अध्ययन जरूरी है। सोने की कीमतें भविष्य में फिर से बढ़ सकती हैं, खासकर अगर कोई नया भूराजनैतिक तनाव सामने आता है।
भविष्य की संभावनाएं
क्या यह गिरावट अस्थायी है या लंबे समय तक रहेगी? यह सवाल हर निवेशक के मन में है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर शांति समझौता स्थिर रहता है और वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुधार होता है, तो सोने की कीमतें और नीचे जा सकती हैं। लेकिन, किसी भी अप्रत्याशित घटना, जैसे कि नया संघर्ष या आर्थिक अस्थिरता, से सोने की मांग फिर से बढ़ सकती है। इसलिए, निवेशकों को सतर्क रहते हुए अपने फैसले लेने चाहिए।