शॉपिंग के बाद मोबाइल नंबर मांगना कितना जायज़? जानिए आपके अधिकार क्या कहते हैं!

आजकल शॉपिंग करना हमारे जीवन का हिस्सा बन चुका है। चाहे किराने की दुकान हो, कपड़ों का स्टोर हो, या फिर ऑनलाइन शॉपिंग, हर जगह बिलिंग के समय एक सवाल आम हो गया है - "आपका मोबाइल नंबर दीजिए।" कई बार यह सवाल हमें असहज कर देता है। मन में सवाल उठता है कि क्या मेरा नंबर देना जरूरी है? क्या यह सुरक्षित है? और सबसे बड़ा सवाल - क्या यह कानूनन सही है? आइए, इस लेख में हम इस विषय पर विस्तार से बात करते हैं और जानते हैं कि शॉपिंग के बाद मोबाइल नंबर देने के पीछे का सच क्या है।
क्यों मांगते हैं दुकानदार मोबाइल नंबर?
जब आप किसी दुकान पर सामान खरीदने जाते हैं, तो बिलिंग काउंटर पर अक्सर दुकानदार आपसे आपका मोबाइल नंबर मांगता है। कई बार यह एक सामान्य प्रक्रिया लगती है, और हम बिना सोचे-समझे नंबर दे देते हैं। दुकानदारों का कहना है कि मोबाइल नंबर से ग्राहकों का डेटा रखने में आसानी होती है, जिससे वे भविष्य में ऑफर, डिस्काउंट या प्रचार सामग्री भेज सकते हैं। लेकिन क्या यह प्रक्रिया पूरी तरह से सही है? कई बार ग्राहकों को लगता है कि उनकी निजता पर सवाल उठ रहे हैं। कुछ लोग डरते हैं कि उनका नंबर गलत हाथों में पड़ सकता है, जिससे स्पैम कॉल्स या मैसेज की बाढ़ आ सकती है।
कानून क्या कहता है?
भारत में उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा के लिए कई नियम और कानून बनाए गए हैं। मई 2023 में उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने एक महत्वपूर्ण एडवाइजरी जारी की थी, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया कि दुकानदारों को ग्राहकों से मोबाइल नंबर मांगने के लिए दबाव डालने की अनुमति नहीं है। इसका मतलब है कि अगर आप अपना नंबर नहीं देना चाहते, तो दुकानदार आपको इसके लिए मजबूर नहीं कर सकता।
चंडीगढ़ राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने भी इस मुद्दे पर अपनी राय दी है। आयोग ने साफ कहा कि बिल जनरेट करने के लिए मोबाइल नंबर लेना अनिवार्य नहीं है। अगर कोई दुकानदार इसके लिए अनुचित दबाव बनाता है, तो उस पर 10,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। यह नियम ग्राहकों को उनकी निजता और अधिकारों की रक्षा करने का एक मजबूत आधार देता है।
क्या करें अगर दुकानदार दबाव डाले?
अगर आप शॉपिंग के दौरान किसी दुकानदार द्वारा मोबाइल नंबर देने के लिए दबाव महसूस करते हैं, तो घबराने की जरूरत नहीं है। आप विनम्रता से मना कर सकते हैं और बिल जनरेट करने की मांग कर सकते हैं। अगर दुकानदार जिद करता है या आपको असहज करता है, तो आप उपभोक्ता शिकायत नंबर 1915 या 8800001915 पर कॉल करके अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं। यह हेल्पलाइन न केवल आपकी समस्या सुनती है, बल्कि आपके अधिकारों की रक्षा के लिए तुरंत कार्रवाई भी करती है।
अपनी निजता की रक्षा करें
आज के डिजिटल युग में हमारी निजी जानकारी बेहद कीमती है। अनचाहे कॉल्स, मैसेज और डेटा लीक की घटनाएं आम हो गई हैं। इसलिए, यह जरूरी है कि हम अपने व्यक्तिगत डेटा को साझा करने से पहले सावधानी बरतें। अगर आपको लगता है कि आपका नंबर देना जरूरी नहीं है, तो बेझिझक मना करें। आपका मोबाइल नंबर आपकी निजी संपत्ति है, और इसे साझा करने का निर्णय पूरी तरह आपका होना चाहिए।
उपभोक्ता जागरूकता है जरूरी
भारत में उपभोक्ता जागरूकता बढ़ाने के लिए सरकार और विभिन्न संस्थाएं लगातार प्रयास कर रही हैं। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय की एडवाइजरी और उपभोक्ता आयोग के नियम इस बात का सबूत हैं कि सरकार आपके अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। लेकिन यह तभी संभव है जब हम स्वयं अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हों। अगली बार जब आप शॉपिंग करें, तो बेझिझक अपने अधिकारों का इस्तेमाल करें और अनचाहे दबाव से बचें।