India Budget 2024 : न्यू टैक्स रिजीम के तहत इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव किया गया. यह बदलाव न्यू टैक्स रिजीम को ज्यादा आकर्षक बनाने के लिए
India Budget 2024 : न्यू टैक्स रिजीम के तहत इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव किया गया. यह बदलाव न्यू टैक्स रिजीम को ज्यादा आकर्षक बनाने के लिए किया गया. इसके तहत तीन लाख रुपये तक की आमदनी पर किसी प्रकार का टैक्स नहीं है.
तीन से छह लाख सालाना आय पर 5 प्रतिशत और 6 से 9 लाख की आय पर 10 प्रतिशत का टैक्स देना है.न्यू टैक्स रिजीम के तहत बेसिक छूट सीमा में भी बदलाव किया गया. आयकर स्लैब में बदलाव के साथ न्यू टैक्स रिजीम के तहत बेसिक लिमिट को पहले के 2.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 3 लाख रुपये कर दिया गया.
इसमें 50,000 रुपये का इजाफा किया गया. इसके अलावा इसी साल आयकर से जुड़ा सबसे बड़ा बदलाव यह हुआ कि न्यू टैक्स रिजीम डिफॉल्ट टैक्स सिस्टम बन गया. 1 अप्रैल, 2023 से न्यू टैक्स रिजीम डिफॉल्ट हो गई.
इसका मतलब यह हुआ कि यदि कोई आयकर रिटर्न फाइल करते समय टीडीएस के लिए टैक्स रिजीम का सिलेक्शन नहीं करता तो उसे न्यू टैक्स रिजीम के तहत इनकम टैक्स देना होगा.न्यू टैक्स रिजीम में सेक्शन 87A के तहत छूट राशि में बढ़ोतरी की गई.
न्यू टैक्स रिजीम में छूट राशि 12,500 रुपये बढ़ा दी गई है. यानी अब यह 12,500 रुपये से बढ़कर 25,000 रुपये हो गई है. इसका मतलब यह हुआ कि न्यू टैक्स रिजीम सिलेक्ट करने वाले को 7 लाख रुपये तक की आय वाले को सेक्शन 87A के तहत छूट मिलेगी.
न्यू टैक्स रिजीम में 50,000 रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन भी मिल रहा है. यानी आपको अब ओल्ड टैक्स रिजीम के साथ ही न्यू टैक्स रिजीम पर भी 50,000 रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन का फायदा मिलेगा. पहले स्टैंडर्ड डिडक्शन का फायदा तब ही मिलता था, जब कोई ओल्ड टैक्स रिजीम को सिलेक्ट करता था
.31 मार्च, 2023 के बाद डेट म्यूचुअल फंड में किया गया निवेश निकासी पर लॉन्गटर्म पूंजीगत लाभ के लिए पात्र नहीं है. इसका सीधा सा मतलब यह हुआ कि तीन साल इससे ज्यादा समय तक होल्ड की गई म्यूचुअल फंड यूनिट पर पूंजीगत लाभ अब इंडेक्सेशन के साथ एलटीसीजी के रूप में टैक्सेशन के लिए पात्र नहीं होगा.
साल 2023 में छोटे टैक्सपेयर्स को राहत दी गई. एक वित्तीय वर्ष में 7 लाख रुपये से ज्यादा टैक्सेबल इनकम वाले लोगों के लिए न्यू टैक्स रिजीम के तहत मार्जिनल टैक्स रिलीव पेश की गई.
पहले यह राहत केवल 50 लाख रुपये से ज्यादा की आमदनी वाले टैक्सपेयर्स के लिए उपलब्ध थी. यह राहत उन लोगों के लिए दी गई जिनकी आमदनी में मामूली वृद्धि के कारण टैक्स का भुगतान ज्यादा होता है.