दुनिया भर में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की दौड़ तेज़ हो चुकी है, और अब भारत भी इस मुकाबले में शामिल होने को तैयार है। अमेरिका के चैटजीपीटी और चीन के डीपसीक जैसे मॉडल्स को चुनौती देते हुए भारत अपना खुद का जेनेरेटिव एआई मॉडल विकसित कर रहा है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने ओडिशा में आयोजित उत्कर्ष कॉन्क्लेव में इस महत्वाकांक्षी परियोजना का ऐलान करते हुए बताया कि भारत का यह मॉडल देश की भाषाई विविधता, सांस्कृतिक पहचान और आर्थिक ज़रूरतों को ध्यान में रखकर बनाया जाएगा। इसके लिए इंडिया एआई कंप्यूट फैसिलिटी ने 18,693 जीपीयू (ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट्स) का इंतज़ाम किया है, जो एक लार्ज लैंग्वेज मॉडल (LLM) को ट्रेन करने में मदद करेंगे।
तकनीकी बुनियाद: 19,000 जीपीयू का शक्तिशाली नेटवर्क
भारत सरकार ने शुरुआत में 10,000 जीपीयू के लक्ष्य के साथ इस परियोजना की शुरुआत की थी, लेकिन निजी क्षेत्र के ज़बरदस्त समर्थन ने इसे पार कर 19,000 जीपीयू तक पहुंचा दिया। इनमें एनवीडिया के 12,896 H100 और 1,480 H200 जीपीयू शामिल हैं, जो दुनिया की सबसे ताकतवर AI चिप्स में गिने जाते हैं। फिलहाल 10,000 जीपीयू तुरंत इस्तेमाल के लिए तैयार हैं, जबकि बाकी धीरे-धीरे लगाए जाएंगे। यह सुविधा स्टार्टअप्स, शोधकर्ताओं और शिक्षण संस्थानों के लिए सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध होगी, ताकि देशभर में AI इनोवेशन को बढ़ावा मिल सके। सस्ती और सुलभ कंप्यूटिंग: स्टार्टअप्स के लिए बड़ी राहत
सरकार ने AI कंप्यूट सेवाओं की लागत को कम करने के लिए 40-50% तक की सब्सिडी देने का फैसला किया है। इसके तहत हाई-एंड जीपीयू का उपयोग करने की कीमत महज़ ₹150 प्रति घंटा और लो-एंड जीपीयू के लिए ₹115.85 प्रति घंटा रखी गई है। वैश्विक स्तर पर यह लागत $2.5-$3 प्रति घंटा है, लेकिन भारत में सब्सिडी के बाद यह $1 प्रति घंटे से भी कम होगी। इस कदम से छोटे व्यवसायों और नवोन्मेषकों को बड़ी राहत मिलेगी, जो पहले महंगी कंप्यूटिंग शक्ति के कारण AI प्रोजेक्ट्स शुरू नहीं कर पाते थे। भारतीय संदर्भ वाला मॉडल: भाषा और संस्कृति का ख़्याल
इस मॉडल की सबसे बड़ी खासियत यह होगी कि यह भारत की 22 से अधिक आधिकारिक भाषाओं और सैकड़ों बोलियों को समझने में सक्षम होगा। साथ ही, यह स्थानीय सांस्कृतिक संदर्भों, आर्थिक चुनौतियों और सामाजिक ढांचे को ध्यान में रखकर डिज़ाइन किया जाएगा। वैष्णव के मुताबिक, "विदेशी मॉडल्स भले ही हिंदी या तमिल में जवाब दें, लेकिन उनके डेटासेट में भारतीय संदर्भों की कमी होती है। हमारा मॉडल ग्रामीण किसान से लेकर शहरी युवा तक सभी की ज़रूरतों को पूरा करेगा।" इसके लिए सरकार ने 6 प्रमुख डेवलपर्स के साथ समझौता किया है, जो 4 से 8 महीने के भीतर मॉडल का पहला वर्ज़न पेश कर सकते हैं। कृषि से लेकर शिक्षा तक: AI का समाजोपयोगी रूप
भारत AI मिशन का मकसद सिर्फ़ तकनीकी उन्नति नहीं, बल्कि ज़मीनी समस्याओं का हल ढूंढना भी है। पहले चरण में 18 AI एप्लिकेशन्स को चुना गया है, जो तीन प्रमुख क्षेत्रों पर केंद्रित हैं: कृषि, जलवायु परिवर्तन और सीखने की अक्षमताएं। किसानों के लिए AI आधारित मौसम पूर्वानुमान, फसल रोगों की पहचान और बाज़ार मूल्यों का विश्लेषण जैसे टूल्स विकसित किए जा रहे हैं। वहीं, जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए AI मॉडल्स के ज़रिए वनों की कटाई और कार्बन उत्सर्जन पर नज़र रखी जाएगी। शिक्षा के क्षेत्र में डिस्लेक्सिया जैसी समस्याओं से जूझ रहे बच्चों के लिए पर्सनलाइज्ड लर्निंग एप्स बनाए जाएंगे। सुरक्षा और नैतिकता: AI के साथ ज़िम्मेदारी का सफ़र
AI के दुरुपयोग को रोकने के लिए भारत एक अनूठी "हब-एंड-स्पोक" मॉडल वाली सेफ्टी इंस्टीट्यूशन बना रहा है। इसमें कई संस्थान मिलकर AI के लिए सुरक्षा मानकों और एथिकल फ्रेमवर्क पर काम करेंगे। साथ ही, डेटा प्राइवेसी को लेकर सख़्त गाइडलाइन्स तैयार की जा रही हैं, ताकि नागरिकों की निजता सुरक्षित रहे। वैष्णव ने ज़ोर देकर कहा कि "AI का विकास जनहित में होगा, न कि कॉर्पोरेट मुनाफ़े के लिए।" भविष्य की झलक: क्या बदलाव लाएगा भारत का AI मॉडल?
इस मॉडल के आने से न सिर्फ़ टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता बढ़ेगी, बल्कि रोज़गार के नए अवसर भी पैदा होंगे। अनुमान है कि 2025 तक AI भारत की GDP में 500 अरब डॉलर का योगदान देगा। साथ ही, स्वास्थ्य सेवाओं में AI डायग्नोस्टिक्स, शिक्षा में पर्सनलाइज्ड लर्निंग और कृषि में स्मार्ट फार्मिंग जैसे क्षेत्रों में क्रांति आएगी। सरकार का लक्ष्य है कि यह मॉडल न केवल वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करे, बल्कि भारत को AI के क्षेत्र में एक "ग्लोबल लीडर" बनाए। यह पहल न सिर्फ़ तकनीकी उन्नति का प्रतीक है, बल्कि भारत के "डिजिटल इंडिया" सपने को साकार करने की दिशा में एक मज़बूत कदम भी। आने वाले महीनों में इस मॉडल के पहले प्रोटोटाइप का इंतज़ार रहेगा, जो भारत को AI क्रांति के अगले चरण में ले जाएगा।