अब अनावश्यक हार्न बजाने पर पड़ सकता है भारी जुर्माना, सरकार ने दिए निर्देश

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अब अनावश्यक हार्न बजाने पर पड़ सकता है भारी जुर्माना, सरकार ने दिए निर्देश

हॉर्न की आवाज से परेशान होकर सरकार ध्वनि प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए बड़ा कदम उठाने जा रही है, आइये खबर में जानते है सरकार प्रदूषण को कम करने के लिए किन-किन चीजों पर रोक लगाएगी।

हॉर्न की आवाज से परेशान होकर सरकार ध्वनि प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए बड़ा कदम उठाने जा रही है, आइये खबर में जानते है सरकार प्रदूषण को कम करने के लिए किन-किन चीजों पर रोक लगाएगी।


नई दिल्ली, 30 अगस्त। गाड़ियों की हॉर्न से होने वाले ध्वनि प्रदूषण को कम(reduce noise pollution) करने के लिए केंद्र सरकार हॉर्न की आवाज़ को कम करने के प्लान पर काम कर रही है. सरकार का प्रस्ताव पास हो गया तो गाड़ी बनाने वाली कंपनियों को तय मानकों के हिसाब से ही हॉर्न की आवाज़ सेट करनी होगी.

सड़क पर चलते हुए सबसे ज्यादा परेशान करती है फेलो ड्राइवर्स और राइडर्स की रैश ड्राइविंग. उतनी ही ज्यादा परेशान करती है गैर जरूरी हॉन्किंग. बेवजह हॉर्न बजाने(honking unnecessarily) वाले ये भी नहीं देखते कि सिग्नल पर बत्ती लाल है. न ही ये सोचते हैं कि उनके हॉर्न बजाने से ट्रैफिक क्लियर नहीं हो जाएगा.

कई बार आपको अहसास होता है कि लोगों की सहूलियत के लिए बनाए गए हॉर्न का लोग कितना मिस यूज करते हैं. केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि सरकार एक ऐसी योजना पर काम कर रही है जिसमें गाड़ियों के हॉर्न की आवाज़ को कम करके 50 डेसिबल तक कर दिया जाएगा.

ध्वनि प्रदूषण कम करने के लिए उठाया जा रहा कदम

नितिन गडकरी ने मिंट से कहा, “हम सेंट्रल मोटर व्हीकल रूल में संशोधन करके हॉर्न की अधिकतम परमिसिबल आवाज़ को 70 डेसिबल से घटाकर 50 डेसिबल करने का प्रपोज़ल दे रहे हैं. इसके साथ ही हम कुछ ऐसे ट्यून्स को अपनाने का सुझाव भी देंगे जो कान में ज्यादा चुभे न और आवाज़ की क्वालिटी वॉर्निंग देने के लिए काफी हो.”

अभी हॉर्न की आवाज़ के लिए किन रेगुलरेशंस का पालन होता है?

अभी दो पहिया गाड़ियों के हॉर्न में अधिकतम 80 से 91 डेसिबल आवाज़ का इस्तेमाल किया जा सकता है. वहीं तीन पहिया, कार और कमर्शियल गाड़ियों में दिन के समय 53 डेसिबल और रात के समय 45 डेसिबल की सेफ लिमिट(safe limit) तय की गई है. हालांकि, कई गाड़ी चालक इन रेगुलेशंस का पालन नहीं करते हैं. ट्रक, बस और कई बाइक चालक तय लिमिट से ज्यादा आवाज़ वाले हॉर्न्स का इस्तेमाल करते हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारतीय सड़कों पर नोइस लेवल 100 डेसिबल के करीब रहता है.

ज्यादा आवाज़ के क्या नुकसान होते हैं?

इंडियन मेडिकल असोसिएशन के मुताबिक, अगर आप हफ्ते में पांच दिन 6 से 8 घंटे तक 80 डेसिबल की आवाज़ सुनते हैं तो बहरापन हो सकता है या मानसिक स्वास्थ्य पर इसका असर पड़ सकता है.

प्रपोजल्स के अप्रूव होने के बाद व्हीकल मैनुफैक्चरर्स के लिए ये अनिवार्य होगा कि वो गाड़ी बनाते समय आवाज़ के तय मानकों का इस्तेमाल करें. ऐसा नहीं करने पर मैनुफैक्चरर्स से फाइन लिया जा सकता है या फिर चालकों पर फाइन लगाया जा सकता है.